भगवान सूर्य ऊर्जा के स्रोत हैं। यदि सूर्य का आर्शीवाद न होतो जीवन में हाथ आई सफलता भी फिसलती जाती है। सब कुछ होते हुए भी यश और प्रसिद्धी किसी और को ही मिलती है। सूर्य उपासना का पर्व भी है। आईए इस अवसर पर हम आपको बताते हैं कि सूर्य उपासना करना क्यों जरूरी है और इसे कैसे किया जाए। रविवार का दिन भगवान सूर्य का होता है। इस दिन इनकी पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी हो जाती है। सूर्यदेव को हिन्दू धर्म के पंचदेवों में से प्रमुख देवता माना जाता है। इनकी उपासना करने से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
-सूर्यदेव को अर्घ देने और उनकी पूजा करने से उनकी शक्ति इंसान में भी आने लगती है। वह उनके समान ही ओजसवी बनने लगता है। जीवन की कठिनाई, कमी और दुख का नाश होने लगता है।
-सूर्य की पूजा इंसान को निडर और बलवान बनाती है।
-सूर्य पूजा मनुष्य को परोपकारी बनाती है।
-सूर्य पूजा इंसान को विद्वान और बुद्धिमान के साथ-साथ मधुर वाणी वाला बनाती है।
-सूर्यदेव की पूजा कोमल और पवित्र आचरण प्रदान करती है।
-सूर्य पूजा व्यक्ति के मन से अंहकार, क्रोध, लोभ, इच्छा, कपट और बुरे विचारों को दूर करती है।
ऐसे करनी होगी पूजा :-
वैसे तो हर दिन सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए, लेकिन रविवार को सूयदेव के मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख, बेहतर स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।
- " ☀ ॐ सूर्याय नम: ☀ "
का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाए। सूर्यदेव को पवित्र जल चढ़ाने के बाद जमीन पर माथा टेककर इस मंत्र का जाप करें। साथ ही जल को एक पात्र में गिरते हुए एकत्र करें और उसे अपने माथे, दोनो बाजुओं व सीने पर लगा कर सूर्य को प्रणाम कर लें।
-सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहने और सूर्य देव को नमस्कार करें। इसके बाद एक तांबे के बर्तन में ताजा पानी भरें तथा नवग्रह मंदिर में जाकर सूर्यदेव को लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें। सूर्यदेव की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर, मन में सफलता और यश की कामना करें।