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जीभ से निरन्तर भगवान् का नाम लीजिये!

   


  भगवान ने कहा है -

"सभी धर्मों का आश्रय छोड़कर केवल एकमात्र मेरी शरण में चले आओ। फिर मैं तुम्हें सब पापों से मुक्त कर दूँगा। 

तुम चिन्ता मत करो। 


सर्वधर्मान् परित्यज्य मामे शरण व्रज।

अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयियामि मा शुचः॥

(गीता १८) ६६)

  

   मन की कैसी भी अवस्था क्यों न हो, कोई परवा नहीं। केवल जीभ से निरन्तर भगवान का नाम लीजिये। 


फिर सारी जिम्मेवारी भगवान सँभाल लेंगे। 

केवल जीभ से नाम-स्मरण और कोई शर्त नहीं।

  

   चाहे मन लगे या न लगे। 

यदि भगवान का नाम जीभ से निरन्तर लेने लग जाइयेगा, तो फिर न तो कोई शंका उठेगी ,न कोई चाह रहेगी। 


थोड़े ही दिनों में शान्ति का अनुभव करने लगियेगा। 


इससे सरल उपाय कोई नहीं है। 


पूर्व के पापों के कारण नाम लेने की इच्छा नहीं होती। 


एक बार हठ से निरन्तर नाम लेने का नियम लेकर ४-६ महीने बैठ जायेंगे, तो फिर किसी से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं रहेगी। 


स्वयं सत्य वस्तु का प्रकाश मिलने लगेगा, संदेह मिटने लगेंगे।


 इस प्रकार जिस दिन भजन करते-करते सर्वथा शुद्ध होकर भगवान को चाहियेगा। 


उसी क्षण भगवान से मिलकर कृतार्थ हो जाइयेगा।

नारायण! नारायण!! नारायण!!!🙏🏻

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