तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा``` -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर``` आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग```
```स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में```
```किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !```
*इस कथा को कम से कम दो लोगों को अवश्य सुनाए आप को पुण्य अवश्य मिलेगा। या चार ग्रुप मे प्रेषित करें।
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रविवार, 15 अक्टूबर 2017
तुलसी कौन थी !!
शनिवार, 14 अक्टूबर 2017
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लाइसेंस या RC घर भूल गए हैं तो घबराएं नहीं, पुलिस अब चालान नहीं काट पाएगी..!!
अगर आप आरसी या ड्राइविंग लाइसेंस घर पर ही भूल गए हैं तो घबराएं नहीं। बेझिझक काम करने जाएं, पुलिस चालान नहीं काट पाएगी। जानिए क्यों और कैसे होगा ये...
दरअसल, सरकार ने किसी भी काम के लिए लाइसेंस या अन्य दस्तावेजों की हार्डकॉपी साथ रखने या साथ ले जाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब आपको एक डिजिलॉकर खोलना होगा। यह स्कीम लॉन्च कर दी गई है और इसमें आप अपने सभी दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी रख सकते हैं। डिजिलॉकर से लोगों को दो फायदे होंगे, एक तो दस्तावेज सुरक्षित रहेंगे। दूसरा ये कि कहीं भी जरूरत पड़े, लॉकर खोलकर यूज कर सकेंगे।
डिजिटल लॉकर यानी डिजिलॉकर प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया का एक अहम हिस्सा है। डिजिटल लॉकर का उद्देश्य जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन स्टोर करके भौतिक दस्तावेजों के उपयोग को कम करना और एजेंसियों के बीच में ई-दस्तावेजों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। लॉकर में सेव सॉफ्ट कॉपी पूरी तरह मान्य होगी, कोई इसे मानने से इंकार नहीं कर सकता।
डिजिटल लॉकर में ई-साइन की सुविधा भी है जिसका उपयोग डिजिटल रूप से हस्ताक्षर करने के लिए किया जा सकता है। पिछले महीने आए आंकड़ों के मुताबिक, पीएम मोदी की सरकार द्वारा लगभग सालभर पहले शुरू की गई डिजिलॉकर (DigiLocker) सर्विस में 78 लाख से अधिक लोग रजिस्टर कर चुके हैं। आपको भी इसका लाभ लेना चाहिए। इसे बनाने की प्रक्रिया भी जटिल नहीं है।
डिजिटल लॉकर बनाने के लिए आपको https://digitallocker.gov.in पर अपना अकाउंट बनाना होगा। इसके लिए आपको अपने आधार कार्ड नंबर की जरूरत होगी। आधार कार्ड इसलिए जरूरी है, ताकि फर्जीवाडे से बचा जा सके। साइट पर साइनअप करने के लिए आधार नंबर मांगा जाएगा और दो विकल्प यूजर वैरिफिकेशन के लिए उपलब्ध होगें। पहला ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड जिसपर क्लिक करते ही आपको आधार कार्ड में दिए गए मोबाइल नंबर पर ये पासवर्ड आ जाएगा।
यदि आप दूसरा विकल्प यानी अंगूठे का निशान चुनते हैं तो एक पेज खुलेगा जहां आपको उंगलियों के निशान पर अपने अंगूठे का निशान लगाना होगा। अगर निशान वैध है तभी यूजर का वैरिफिकेशन हो पाएगा और इसके बाद आप अपना यूजर नेम और पासवर्ड क्रिएट कर पाएंगे। लॉकर में pdf, jpg, jpeg, png, bmp और gif फॉरमेट की फाइलें सेव की जा सकती हैं। अपलोड की जाने वाली फाइल का साइज 1 एमबी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
फिलहाल प्रत्येक यूजर को 10 एमबी का स्पेस मिलेगा, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 जीबी किया जाना प्रस्तावित है। इससे ऑनलाइन दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित होगी।
गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017
💨💭 'पादना' बुरी बात नही है भाई !!
आज मै "पाद" विषय पर बात कर रहा हूं, जिसका नाम लेना भी असभ्यता समझी जाती है, लेकिन पाद क्या अपनी मर्जी से आता है, वो तो खुद ही कभी भी, कहीं भी आ सकता है ! अगर प्रधानमंत्री को भी भरी सभा मे पाद आ जाये तो वे पादेंगे नही क्या..?
इसलिये पाद पर किसी तरह का नियंत्रण संभव ही नही है !
यदि आपका डाक्टरी चेकअप हुआ होगा तो डाक्टर ने आपसे यह सवाल भी अवश्य किया होगा कि पाद ठीक से आता है ?
क्योंकि डाक्टर जानता है कि पाद चेक करने की अभी तक कोई अल्ट्रासाउंड या MRI जैसी मशीन नही बनी !
ये तमाम चूरन - चटनी, हाजमोला जैसी गोलियों का करोड़ों रुपये का कारोबार केवल इसी बिन्दु पर तो निर्भर है कि जनता ठीक से पादती रहे !
यदि आपको दिन में 4 बार और रात को लगभग 10 बार अलग अलग तरह के पाद नही आते तो आपका सजना, संवरना सब बेकार है, क्योंकि अन्दर से आपका सिस्टम बिगड़ा हुआ है, यदि लीवर ही ठीक से काम नही कर रहा तो अन्य अंगो को पोषण कहां से मिलेगा !
इसलिये पादने मे संकोच न करें और खूब पादें ! क्योंकि पादना बुरी बात नही है भाई !
🚶💨पाद पांच प्रकार के होते हैं:-
1 - 'भो पाद' (पादों का राजा)
यह घोषणात्मक और मर्दानगी भरा होता है ! इसमे आवाज मे धमक ज्यादा और बदबू कम होती है, जितनी जोर आवाज, उतनी कम बदबू !
2 - 'शहनाई' -
हमारे पूर्वजो ने इसे मध्यमा भी कहा है ! इसमे से आवाज निकलती है ठें ठें या कहें पूंऊऊऊउऊ..!
3 - 'खुरचनी' -
इसकी आवाज पुराने कागज के सरसराहट जैसी होती है! यह एक बार मे नही निकलता है, बल्कि एक के बाद एक कई 'पिर्र..पिर्र..पिर्र..पिर्र' की आवाज के साथ आता है !
4 - 'तबला' -
तबला पाद एक फट की आवाज के साथ आता है ! यह अपने मालिक की इजाजत के बगैर ही निकल जाता है और अगर हम लोगों के बीच बैठे हों तो हास्य के पात्र बन जाते हैं !
5 - 'फुस्की' -
यह एक निःशब्द 'बदबू बम' है ! चूंकि इसमें आवाज नही होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को बदबू का गुप्त दान देता है और दाता अपनी नाक को बंद कर के नही पादने का दिखावा करता है, लेकिन आप कुछ ना बोलें केवल जापानी कहावत " जो बोला, सो पादा " याद रखें, इससे दाता स्वयं ही पकड़ मे आ जायेगा !
अब अपने पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए पाद का आनन्द उठाइये तथा जम कर, बेझिझक और खुलकर पादिये...
नोट ;— इस मैसेज को केवल व्यंग्य के तौर पर या अन्यथा न लें, क्योंकि पादने से आपके शरीर मे होने वाली कई क्रियाओं का सम्बंध है, और उम्मीद है कि इस पोस्ट से पादने वालों (जो कि आप स्वयं भी हो सकते हैं) के प्रति आपका दृष्टिकोण बदलेगा...!!
😄😄😄💭💭💨🙊🙊😝😛
हँसी रोक पाओ तो बोलना…
बहु बरामदे में बैठे ससुर के पास खाली चाय का कप लेने गई...
तो कप लेने के लिए जैसे ही झुकी तो पाद निकल गया ।
बहु शर्म के मारे बिना कप उठाये वापस जाने लगी,
ससुर ने आवाज लगाई -"बहु यहाँ कुछ काम था कि सिर्फ पादने आई थी...???"
😆😆😆😄😄😄😄😄
बुधवार, 11 अक्टूबर 2017
👍 कश्मीर होगा आज़ाद..!! 👍
1947 में जब भारत आज़ाद हुआ और अँगरेज़ भारत छोड़कर वापस जाने लगे तब जिन्ना की मांग पर भारत का बटवारा हो गया और पकिस्तान का जन्म हुआ और जिन्ना पकिस्तान के प्रधानमंत्री बने और ताकत मिलते ही कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए जिन्ना ने अपनी फ़ौज भेज दी |
ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी :⤵
Http://sachinc29.blogspot.in
और पकिस्तान ने आधे कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया था पर जब भारत की फ़ौज कश्मीर पहुंची तब पकिस्तान की फ़ौज को मुंह की खानी पड़ी और वापस जाने लगे पर उसी वक़्त नेहरु की बेवकूफी की वजह से वोह लड़ाई वही रोक दी गयी और जो कश्मीर उस वक़्त ही भारत का होता वो आधा पकिस्तान का गुलाम बनकर रह गया |
पर अब वहां की जनता यह समझ चुकी है की अगर वे पाकिस्तान के साथ और रहे तो उनका भविष्य गरीबी और आतंकवाद में बीतेगा पर अगर वह भारत का हिस्सा बन जाते हैं तो गुलाम कश्मीर को एक नई दिशा मिलेगी और एक अलग रफ़्तार के साथ गुलाम कश्मीर भी तरकी कर सकेगा |
और अब इस बात की चर्चा पाक मीडिया भी करने लगा है की pok अब आजादी चाहता है भारत के एक मौलाना जो की कुछ दिनों के लिए pok में रहकर आए उनका कहना है की वहाँ के लोग भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं और अगर उन्हें वोटिंग का मौका मिले तो वह भारत के पक्ष में अपना वोट देंगे |
आपका इस पर क्या विचार है कमेंट कर बताएं और आने वाले नए खबरों के लिए हमारे चैनल को फॉलो करना न भूलें आपका दिन शुभ हो धन्यवाद् |
बुधवार, 4 अक्टूबर 2017
👓 गांधी वध क्यों..??
पोस्ट पढ़ने से पहले शेयर जरूर करें, आज सभी तक यह पोस्ट पहुँचनी चाहिए :-
*गांधी वध क्यों* एक ऐसी पुस्तक जिससे डरकर कांग्रेस ने इस पर *प्रतिबंध* लगा दिया था। अब हमारे पास आपके लिए उपलब्ध है। *जिसको चाहिए वो इस नंबर 7004154989 (whatsapp) पर संपर्क करें उनको डाक से भेज दी जाएगी।*
गाँधी वध क्यों ?
क्या थी विभाजन की पीड़ा ?
विभाजन के समय हुआ क्या-क्या ?
विभाजन के लिए क्या था विभिन्न राजनैतिक पार्टियों दृष्टिकोण ?
क्या थी पीड़ा पाकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थियों की ... मदन लाल पाहवा और विष्णु करकरे की?
क्या थी गोडसे की विवशता ?
क्या गोडसे नही जानते थे कि आम आदमी को मारने में और एक तथाकथित राष्ट्रपिता को मारने में क्या अंतर है ?
क्या होगा परिवार का ?
कैसे कैसे कष्ट सहने पड़ेंगे परिवार और सम्बन्धियों को और मित्रों को ?
क्या था गांधी वध का वास्तविक कारण ?
क्या हुआ 30 जनवरी की रात्री को ... पुणे के ब्राह्मणों के साथ ?
क्या था सावरकर और हिन्दू महासभा का चिन्तन ?
क्या हुआ गोडसे के बाद नारायण राव आप्टे का .. कैसी नृशंस फांसी दी गयी उन्हें l
यह लेख पढने के बाद कृपया बताएं कैसे उतारेगा भारतीय जनमानस पंडित नाथूराम गोडसे जी का कर्ज....
आइये इन सब सवालों के उत्तर खोजें ....
पाकिस्तान से दिल्ली की तरफ जो रेलगाड़िया आ रही थी, उनमे हिन्दू इस प्रकार बैठे थे जैसे माल की बोरिया एक के ऊपर एक रची जाती हैं। अन्दर ज्यादातर मरे हुए ही थे, गला कटे हुए
रेलगाड़ी के छप्पर पर बहुत से लोग बैठे हुए थे, डिब्बों के अन्दर सिर्फ सांस लेने भर की जगह बाकी थी l बैलगाड़िया ट्रक्स हिन्दुओं से भरे हुए थे, रेलगाड़ियों पर लिखा हुआ था,," आज़ादी का तोहफा " रेलगाड़ी में जो लाशें भरी हुई थी उनकी हालत कुछ ऐसी थी की उनको उठाना मुश्किल था, दिल्ली पुलिस को फावड़ें में उन लाशों को भरकर उठाना पड़ा l ट्रक में भरकर किसी निर्जन स्थान पर ले जाकर, उन पर पेट्रोल के फवारे मारकर उन लाशों को जलाना पड़ा इतनी विकट हालत थी उन मृतदेहों की... भयानक बदबू......
सियालकोट से खबरे आ रही थी की वहां से हिन्दुओं को निकाला जा रहा हैं, उनके घर, उनकी खेती, पैसा-अडका, सोना-चाँदी, बर्तन सब मुसलमानों ने अपने कब्जे में ले लिए थे l मुस्लिम लीग ने सिवाय कपड़ों के कुछ भी ले जाने पर रोक लगा दी थी. किसी भी गाडी पर हल्ला करके हाथ को लगे उतनी महिलाओं- बच्चियों को भगाया गया.बलात्कार किये बिना एक भी हिन्दू स्त्री वहां से वापस नहीं आ सकती थी ... बलात्कार किये बिना.....?
जो स्त्रियाँ वहां से जिन्दा वापस आई वो अपनी वैद्यकीय जांच करवाने से डर रही थी....
डॉक्टर ने पूछा क्यों ???
उन महिलाओं ने जवाब दिया... हम आपको क्या बताये हमें क्या हुआ हैं ?
हमपर कितने लोगों ने बलात्कार किये हैं हमें भी पता नहीं हैं...उनके सारे शारीर पर चाकुओं के घाव थे।
*"आज़ादी का तोहफा"*
जिन स्थानों से लोगों ने जाने से मना कर दिया, उन स्थानों पर हिन्दू स्त्रियों की नग्न यात्राएं (धिंड) निकाली गयीं, बाज़ार सजाकर उनकी बोलियाँ लगायी गयीं और उनको दासियों की तरह खरीदा बेचा गया l
1947 के बाद दिल्ली में 400000 हिन्दू निर्वासित आये, और इन हिन्दुओं को जिस हाल में यहाँ आना पड़ा था, उसके बावजूद पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने ही चाहिए ऐसा महात्मा जी का आग्रह था...क्योकि एक तिहाई भारत के तुकडे हुए हैं तो भारत के खजाने का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को मिलना चाहिए था l
विधि मंडल ने विरोध किया, पैसा नहीं देगे....और फिर बिरला भवन के पटांगन में महात्मा जी अनशन पर बैठ गए.....पैसे दो, नहीं तो मैं मर जाउगा....एक तरफ अपने मुहँ से ये कहने वाले महात्मा जी, की हिंसा उनको पसंद नहीं हैं l
दूसरी तरफ जो हिंसा कर रहे थे उनके लिए अनशन पर बैठ गए... क्या यह हिंसा नहीं थी .. अहिंसक आतंकवाद की आड़ में
दिल्ली में हिन्दू निर्वासितों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इससे ज्यादा बुरी बात ये थी की दिल्ली में खाली पड़ी मस्जिदों में हिन्दुओं ने शरण ली तब बिरला भवन से महात्मा जी ने भाषण में कहा की दिल्ली पुलिस को मेरा आदेश हैं मस्जिद जैसी चीजों पर हिन्दुओं का कोई
ताबा नहीं रहना चाहिए l निर्वासितों को बाहर निकालकर मस्जिदे खाली करे..क्योंकि महात्मा जी की दृष्टी में जान सिर्फ मुसलमानों में थी हिन्दुओं में नहीं...
जनवरी की कडकडाती ठंडी में हिन्दू महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर पुलिस ने मस्जिद के बाहर निकाला, गटर के किनारे रहो लेकिन छत के निचे नहीं l क्योकि... तुम हिन्दू हो....
4000000 हिन्दू भारत में आये थे,ये सोचकर की ये भारत हमारा हैं.... ये सब निर्वासित गांधीजी से मिलाने बिरला भवन जाते थे *तब गांधीजी माइक पर से कहते थे क्यों आये यहाँ अपने घर जायदाद बेचकर, वहीँ पर अहिंसात्मक प्रतिकार करके क्यों नहीं रहे ?? यही अपराध हुआ तुमसे अभी भी वही वापस जाओ...* और ये महात्मा किस आशा पर पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने निकले थे ?
कैसा होगा वो मोहनदास करमचन्द गाजी उर्फ़ गंधासुर ... कितना महान ...
जिसने बिना तलवार उठाये ... 35 लाख हिन्दुओं का नरसंहार करवाया
2 करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं का इस्लाम में धर्मांतरण हुआऔर उसके बाद यह संख्या 10 करोड़ भी पहुंची l
10 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को खरीदा बेचा गया l
20 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को जबरन मुस्लिम बना कर अपने घरों में रखा गया, तरह तरह की शारीरिक और मानसिक यातनाओं के बाद
ऐसे बहुत से प्रश्न, वास्तविकताएं और सत्य तथा तथ्य हैं जो की 1947 के समकालीन लोगों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों से छुपाये, हिन्दू कहते हैं की जो हो गया उसे भूल जाओ, नए कल की शुरुआत करो ...
परन्तु इस्लाम के लिए तो कोई कल नहीं .. कोई आज नहीं ...वहां तो दार-उल-हर्ब को दार-उल-इस्लाम में बदलने का ही लक्ष्य है पल.. प्रति पल
*विभाजन के बाद एक और विभाजन का षड्यंत्र ...*
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आपने बहुत से देशों में से नए देशों का निर्माण देखा होगा, U S S R टूटने के बाद बहुत से नए देश बने, जैसे ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान आदि ... परन्तु यह सब देश जो बने वो एक परिभाषित अविभाजित सीमा के अंदर बने l
और जब भारत का विभाजन हुआ .. तो क्या कारण थे की पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान बनाए गए... क्यों नही एक ही पाकिस्तान बनाया गया... या तो पश्चिम में बना लेते या फिर पूर्व में l
परन्तु ऐसा नही हुआ .... यहाँ पर उल्लेखनीय है की मोहनदास करमचन्द ने तो यहाँ तक कहा था की पूरा पंजाब पाकिस्तान में जाना चाहिए, बहुत कम लोगों को ज्ञात है की 1947 के समय में पंजाब की सीमा दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र तक होती थी ...
यानी की पाकिस्तान का बोर्डर दिल्ली के साथ होना तय था ... मोहनदास करमचन्द के अनुसार l
नवम्बर 1968 में पंजाब में से दो नये राज्यों का उदय हुआ .. हिमाचल प्रदेश और हरियाणा l
पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र पाने के बाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग चैन से नहीं बैठे ...
उन्होंने फिर से मांग की ... की हमको पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने में बहुत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं l
1. पानी के रास्ते बहुत लम्बा सफर हो जाता है क्योंकि श्री लंका के रस्ते से घूम कर जाना पड़ता है l
2. और हवाई जहाज से यात्राएं करने में अभी पाकिस्तान के मुसलमान सक्षम नही हैं l इसलिए .... कुछ मांगें रखी गयीं 1. इसलिए हमको भारत के बीचो बीच एक Corridor बना कर दिया जाए....
2. जो लाहोर से ढाका तक जाता हो ... (NH - 1)
3. जो दिल्ली के पास से जाता हो ...
4. जिसकी चौड़ाई कम से कम 10 मील की हो ... (10 Miles = 16 KM)
5. इस पूरे Corridor में केवल मुस्लिम लोग ही रहेंगे l
30 जनवरी को गांधी वध यदि न होता, तो तत्कालीन परिस्थितियों में बच्चा बच्चा यह जानता था की यदि मोहनदास करमचन्द 3 फरवरी, 1948 को पाकिस्तान पहुँच गया तो इस मांग को भी ...मान लिया जायेगा l
तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार तो मोहनदास करमचन्द किसी की बात सुनने की स्थिति में था न ही समझने में ...और समय भी नहीं था जिसके कारण हुतात्मा नाथूराम गोडसे जी को गांधी वध जैसा अत्यधिक साहसी और शौर्यतापूर्ण निर्णय लेना पडा l
हुतात्मा का अर्थ होता है जिस आत्मा ने अपने प्राणों की आहुति दी हो .... जिसको की वीरगति को प्राप्त होना भी कहा जाता है l
यहाँ यह सार्थक चर्चा का विषय होना चाहिए की हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जीने क्या एक बार भी नहीं सोचा होगा की वो क्या करने जा रहे हैं ?
किसके लिए ये सब कुछ कर रहे हैं ?
उनके इस निर्णय से उनके घर, परिवार, सम्बन्धियों, उनकी जाती और उनसे जुड़े संगठनो पर क्या असर पड़ेगा ?
घर परिवार का तो जो हुआ सो हुआ .... जाने कितने जघन्य प्रकारों से समस्त परिवार और सम्बन्धियों को प्रताड़ित किया गया l
परन्तु ..... अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले मोहनदास करमचन्द के कुछ अहिंसक आतंकवादियों ने 30 जनवरी, 1948 की रात को ही पुणे में 6000 ब्राह्मणों को चुन चुन कर घर से निकाल निकाल कर जिन्दा जलाया l
10000 से ज्यादा ब्राह्मणों के घर और दुकानें जलाए गए l
सोचने का विषय यह है की उस समय संचार माध्यम इतने उच्च कोटि के नहीं थे, विकसित नही थे ... फिर कैसे 3 घंटे के अंदर अंदर इतना सुनियोजित तरीके से इतना बड़ा नरसंहार कर दिया गया ....
सवाल उठता है की ... क्या उन अहिंसक आतंकवादियों को पहले से यह ज्ञात था की गांधी वध होने वाला है ?
जस्टिस खोसला जिन्होंने गांधी वध से सम्बन्धित केस की पूरी सुनवाई की... 35 तारीखें पडीं l
अदालत ने निरीक्षण करवाया और पाया हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जी की मानसिक दशा को तत्कालीन चिकित्सकों ने एक दम सामान्य घोषित कियाl पंडित जी ने अपना अपराध स्वीकार किया पहली ही सुनवाई में और अगली 34 सुनवाइयों में कुछ नहीं बोले ... सबसे आखिरी सुनवाई में पंडित जी ने अपने शब्द कहे ""
गाँधी वध के समय न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर सुनाने की अनुमति मांगी थी और उसे यह अनुमति मिली थी | नाथूराम गोडसे का यह न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था |इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गाँधी वध के सह अभियुक्त गोपाल गोडसे ने ६० वर्षों तक वैधानिक लडाई लड़ी और उसके फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायलय ने इस प्रतिबन्ध को हटा लिया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमति दे दी। *नाथूराम गोडसे ने न्यायलय के समक्ष गाँधी वध के जो १५० कारण बताये थे।
उनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -*
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
5. 1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6. गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7. गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।
उपरोक्त परिस्थितियों में नथूराम गोडसे नामक एक देशभक्त सच्चे भारतीय युवक ने गान्धी का वध कर दिया।
न्य़यालय में चले अभियोग के परिणामस्वरूप गोडसे को मृत्युदण्ड मिला किन्तु गोडसे ने न्यायालय में अपने कृत्य का जो स्पष्टीकरण दिया उससे प्रभावित होकर उस अभियोग के न्यायधीश श्री जे. डी. खोसला ने अपनी एक पुस्तक में लिखा-
"नथूराम का अभिभाषण दर्शकों के लिए एक आकर्षक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना भावाकुल हुआ कि लोगों की आहें और सिसकियाँ सुनने में आती थींऔर उनके गीले नेत्र और गिरने वाले आँसू दृष्टिगोचर होते थे। न्यायालय में उपस्थित उन प्रेक्षकों को यदि न्यायदान का कार्य सौंपा जाता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने अधिकाधिक सँख्या में यह घोषित किया होता कि नथूराम निर्दोष है।"
तो भी नथूराम ने भारतीय न्यायव्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति की हत्या के अपराध का दण्ड मृत्युदण्ड के रूप में सहज ही स्वीकार किया। परन्तु भारतमाता के विरुद्ध जो अपराध गान्धी ने किए, उनका दण्ड भारतमाता व उसकी सन्तानों को भुगतना पड़ रहा है। यह स्थिति कब बदलेगी?
प्रश्न यह भी उठता है की पंडित नाथूराम गोडसे जी ने तो गाँधी वध किया उन्हें पैशाचिक कानूनों के द्वारा मृत्यु दंड दिया गया परन्तु नाना जी आप्टे ने तो गोली नहीं मारी थी ... उन्हें क्यों मृत्युदंड दिया गया ?
नाथूराम गोडसे को सह अभियुक्त नाना आप्टे के साथ १५ नवम्बर १९४९ को पंजाब के अम्बाला की जेल में मृत्यु दंड दे दिया गया। उन्होंने अपने अंतिम शब्दों में कहा था...
*यदि अपने देश के प्रति भक्तिभाव रखना कोई पाप है तो मैंने वो पाप किया है और यदि यह पुन्य हिया तो उसके द्वारा अर्जित पुन्य पद पर मैं अपना नम्र अधिकार व्यक्त करता हूँ*
– पंडित नाथूराम गोडसे
आशा है कि लोग पंडित नाथूराम को समझे व् जानें। प्रणाम हुतात्मा को।
भारत माता की जय
"तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें!"
*अगर आप नाथूराम गोडसे का पूरा बयान पढ़ना चाहते है तो उनके द्वारा लिखित "गाँधी वध क्यों?" पुस्तक मंगाने के लिए इस नंबर +91-7004154989 (whatsapp, alok) पर संपर्क करें। इसके अलावा अन्य हिंदुत्ववादी पुस्तके भी हमारे यहाँ उपलब्ध है*
अगर आप नाथूराम गोडसे के समर्थक है तो इस पोस्ट को और लोगो तक भी पहुँचाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगो तक सच्चाई पहुँचे। निश्चित ही एक दिन सत्य की विजय होगी।
।।जय श्री राम।।
रविवार, 1 अक्टूबर 2017
मोबाइल में लगाएं कोई भी नंबर
कई बार आपको सामने से ऐसी कॉल आती है जिनके नंबर हमारे फोन के स्क्रीन पर दिखाई नहीं देती या उसमें प्राइवेट नंबर लिखा होता है। इन नंबरों का पता लगाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे नम्बर को इसलिए प्राइवेट दिखाया जाता है ताकि सामने वाले को कॉलर का नम्बर ना दिखाई दे। इसके लिए आप भी एक छोटी से ट्रिक्स अपनाकर अपने नंबर को प्राइवेट कर सकते हैं। इस ट्रिक का इस्तेमाल करने के बाद सामने वाले को आपका नंबर नजर नहीं आएगा और उसकी जगह प्राइवेट लिखा होगा। तो आइये जानते है कैसे अपने नंबर को प्राइवेट बना सकते हैं।
सबसे पहले आपको अपने फोन नंबर की कॉलर आईडी को बंद कर दें। कॉलर आईडी बंद होने के बाद आपका नम्बर सामने वाले यूजर्स को नहीं दिखाई देगा। अपने फोन की कॉलर आईडी को बंद करने के लिए फोन के सेटिंग में जाकर कॉल सेटिंग ऑप्शन को क्लिक करें। इसके बाद उसमें एडिशनल सेटिंग को चुनें। वहां आपको कॉलर आईडी का ऑप्शन दिखेगा, उसपर क्लिक कर उसमें ‘नो’ ऑप्शन को क्लिक कर दें। अब आपका फोन नम्बर सामने वाले यूजर को प्राइवेट नंबर के रूप में दिखाई देगा।
इसके अलावा कुछ देशों में ऐसे कोड का इस्तेमाल किया जाता हैं जिनका प्रयोग कर आप अपने नम्बर को प्राइवेट रख सकते हैं। इस कोड का प्रयोग आप उस नम्बर के आगे लगायेंगे जिन्हें आप कॉल कर रहें हैं। इससे आप अपने नंबर को ओरिजनल आईडी के रूप में दिखने से ब्लॉक कर सकते हैं। आपको बता दें कि, यह कोड देश और यूजर के सर्विस प्रोवाइडर के ऊपर निर्भर करता है। इसके अलावा आप मोबाइल नंबर सर्विस प्रोवाइडर से भी ये सर्विस ले सकते हैं।