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रविवार, 5 नवंबर 2017

मच्छर मारने का इससे आसान तरीका और कहाँ

नमस्कार भाइयों-बहनों एवं मेरे प्यारे मित्र जनों। आज मैं आप सभी को एक देसी ईलाज के बारे में बताना चाहता हूँ, जो कि मच्छर भगाने के लिए एक बहुत ही सहज उपाय है। कई सारी घातक बीमारियां मच्छरों के फैलने से पनप रही है, कहने को तो कई सारी कंपनियां मच्छरों को भगाने अौर मारने के लिए कई सारे प्रोडक्ट्स बनाती और बेचती हैं लेकिन मच्छर इनका तोड़ निकाल ही लेते हैं।

इन मच्छरों को न तो किसी कोइल का असर हो रहा है और न हीं मॉस्किटो लिक्विड का, लेकिन देसी नुस्खों में एक नुस्खा ऐसा है जिसका तोड़ मच्छरों को नहीं मिल पाया है। जिसे आजमाने से घर के सारे मच्छर तुरंत भाग जाएंगे। एक नींबू और करीब दस पन्द्रह लॅाग से आपका काम तुरंत निकल जाएगा। सबसे पहले नींबू को दो भागों में काट दे और लांग को नींबू के ऊपर डाल दें। नींबू और लौंग के मिश्रण से एक ऐसी खुशबू आती है जो कि मच्छरों के लिए बहुत ही विशैली होती है। 

मच्छरों से कई सारी बीमारियां पनपती है जैसे कि डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, येलो फिवर झीका फिवर आदि। डेंगू तो अब इतना खतरनाक हो चुका है कि मानो वक्त पर ईलाज नहीं मिला तो जान भी जा सकती है और ये सब सिर्फ एक मच्छर के काटने की वजह से होता है। यह उपाय आपके लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगा। 

शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

क्या आपको पता है किस दिन काटने चाहिये बाल और नाख़ून।

इंसान के जीवन में धन के महत्व को बताने की ज़रुरत नहीं है। ये सभी जानते है। परन्तु कुछ ऐसे काम जो लोग अनजाने ही कर जाते है जिससे माँ लक्ष्मी रूठ जाती है। इनमे से एक काम है बाल और नाखूनों का काटा जाना। आइये जानते है कि किस बालो और नाखूनों को काटने से हो सकती है धन वर्षा। 

रविवार सूर्य देवता का दिन होता है और इसलिए इस दिन बाल और नाखून काटने से बुद्धि का नाश होता है।

सोमवार के दिन चन्द्रमा और शिव जी का माना जाता है। इसलिए इस दिन बाल और नाखून काटना परेशानियों को खुला निमंत्रण देने जैसा होता है।

बुधवार और शुक्रवार के दिन बाल और नाखून काटने से घर में बरक्क्त आती है। तिजोरी में रखा हुआ धन स्थिर रहता है और कारोबार में वृद्धि होती है।

मंगलवार, बृहस्पतवार और शनिवार के दिन बाल और नाखून सुरक्षा कवच की तरह से काम करते है। इसलिए इन दिनों में बाल और नाखून काटने से मना किया जाता है। 

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भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था कि आखिर क्यों निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए।


स्नान करना हमारे नित्य कर्मो में से एक है। स्नान करने के बाद ही शरीर शुद्ध होता है और इसके बाद ही वह पवित्र और शुभ कार्य करने के लिए स्वतंत्र होता है। जब स्वयं श्रीकृष्ण ने गोपियों से कहे थे।

हम में से अधिकांश व्यक्ति पूर्णतः निर्वस्त्र होकर स्नान करते हैं लेकिन श्रीकृष्ण के अनुसार ऐसा कदापि नहीं करना चाहिए। निर्वस्त्र होकर स्नान करने को निषेध कर्म माना गया है अब ऐसा क्यों, यह जानने की कोशिश करते हैं।

जब नदी में निर्वस्त्र होकर स्नान करने के लिए गोपियां जाती है और तब उनके वस्त्र श्रीकृष्ण चुरा लेते हैं। गोपियां श्रीकृष्ण से बहुत प्रार्थना करती है कि वे उनके वस्त्र उन्हें लौटा दें लेकिन श्रीकृष्ण उन्हें स्वयं जल से बाहर निकलकर वस्त्र लेने के लिए कहते हैं। इसपर गोपियां उनसे विनम्रता से कहती है कि वे नग्नावस्था में जल से बाहर नहीं आ सकती हैं तो श्रीकृष्ण उनसे कहते हैं कि तुम निर्वस्त्र होकर स्नान करने गए ही क्यों थी।

गोपियों ने उत्तर दिया कि जब वे स्नान करने जा रही थीं तो वहां कोई नहीं था। श्रीकृष्ण ने उनसे कहा, ऐसा तुम्हें लगता है। क्योंकि आसमान में उड़ रहे पक्षियों ने तुम्हें नग्नावस्था में देखा, जमीन पर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा। यहीं नहीं पानी के जीवों और साथ ही स्वयं वरुण देव ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा है।

श्रीकृष्ण का आशय था कि भले ही हमें लगे कि हमें निर्वस्त्र अवस्था में किसी ने नहीं देखा लेकिन वास्तव में ऐसा संभव नहीं होता है। हमारे आस-पास हमेशा हमारे पूर्वज रहते हैं। यहां तक कि जब हम निर्वस्त्र होकर स्नान कर रहे होते हैं, तो भी वे हमारे आसपास मौजूद होते हैं।

शरीर से गिरने वाले जल को ग्रहण करते हैं, इसी जल से उनकी तृप्ति होती है। जब हम निर्वस्त्र स्नान करते हैं तो वो अतृप्त रह जाते हैं। ऐसा होने से व्यक्ति का तेज, बल,शौर्य, धन, सुख और क्षमता का नाश होता है। यही वजह है कि व्यक्ति को कभी भी निर्वस्त्र अवस्था में स्नान करने से परहेज करना चाहिए। वैसे तो एक बात तो मानने वाली है, श्रीकृष्ण के साथ बहुत सी ऐसी लीलाएं संबंधित है। जिसमें उन्हें चोरी करते हुए दर्शाया गया है। जिसमे कभी वे गोपियों के वस्त्रों की चोरी करते थे, तो कभी गोपियों के घर से माखन चुरा कर खाते थे। कभी उन पर चोरी करने का आरोप लगा था। तो कभी वे रुकमणी को हर कर अपनी अर्धांगिनी बना लेते हैं। लेकिन जो भी हो वे एक ऐसे चोर रहे हैं, जिनसे सभी ने प्रेम किया है।

कुछ ऐसे सवाल, जिनका जवाब हर हिंदू के पास होना चाहिए।

धर्म से जुडी कई इतनी सामान्य बातें हमारे जीवन में आती हैं या हमसे पूछी जाती है जिनका जवाब हमारे पास नहीं होता। होना भी चाहिए लेकिन ना तो हम उस बारे में कभी सोचते हैं और ना ही जानने की कोशिश करते हैं। सच्चाई यही है कि यदि आप हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो कुछ बेहद सामान्यि धार्मिक बातों के बारे में आपको जानना अति आवश्यक है। जैसे मंदिर में घंटी क्यों बजाई जाती है या फिर किसी देवालय के बाहर चप्पल क्यों उतारी जाती है? वैज्ञानिक तरीके का जवाब तो हमारे पास फिर भी हो सकता है लेकिन धार्मिक बातों से हम कोसों दूर रहते हैं। आइए जानें ऐसी कुछ बातों के बारे में खास जानकारियां-

चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं :-

मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।

दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण:-

आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।

मंदिर में घंटा लगाने का कारण :-

जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।

भगवान की मूर्ति :-

मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

परिक्रमा करने के पीछे कारण :-

हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।