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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

पथरी चाहे किड़नी की हो या गॉलब्लेडर की ये सिर्फ एक हफ्ते में ख़त्म हो जाएगी और दोबारा आने का नाम नहीं लेगी अगर अपना लिया ये घरेलू उपाय!

पथरी रोग मूत्र संस्थान से सम्बंधित रोग होता है। पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व जब शरीर में किसी कमी के कारण पेशाब की नली, गुर्दे या मूत्राशय में रुक जाते हैं तो हवा के कारण यह छोटे-छोटे पत्थर आदि का रूप ले लेते हैं।

पथरी छोटे-छोटे रेत के कणों से बढ़कर धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है। यह खुरदरी, चिकनी, सख्त, गोल आदि आकारों में पाई जाती है।

स्टोन होने के लक्षण :- 

जब शरीर के किसी भाग में पथरी पैदा हो जाती है तो उसके कारण रोगी को पेशाब करते समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे- पेशाब का रुक-रुककर आना , पेशाब के साथ खून या पीब का आना, लिंग की सुपारी में दर्द होना आदि। पथरी के दर्द के कारण कभी-कभी रोगी में उल्टी आने या जी मिचलाने जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं।

स्टोन होने के कारण :- 

जिस समय वायु मूत्राशय में आये हुए शुक्र के साथ पेशाब एवं पित्त के साथ कफ को सुखाती है तब शरीर में पथरी पैदा होती है। पथरी होने पर रोगी के पेड़ू में दर्द होता है और उसका पेशाब भी बन्द हो जाता है। पथरी रोग चार प्रकार का होता है- वातज, पित्तज, कफज तथा शुक्रज जो लोग संभोगक्रिया के समय वीर्य को निकलने से रोक लेते हैं उन्हे शुक्रज पथरी रोग हो जाता है।


पथरी को गलाने के घरेलू उपाय :- 

1.नीम :- नीम का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की पथरी गल जाती है तथा पेट दर्द में आराम मिलता है। नीम के पत्तों की 20 ग्राम राख को थोड़े दिनों तक लगातार पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से पथरी में लाभ मिलता है।

2.अपामार्ग :- 2 ग्राम अपामार्ग की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी खत्म हो जाती है।

3.कपास :- कपास की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की पथरी गल जाती है तथा पेट का फूलना बन्द हो जाता है।

4.सत्यानाशी :- सत्यानाशी का दूध एक चौथाई से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन लेने से पथरी खत्म हो जाती है।

5.सहजन :- सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर गुनगुना करके पीने से पथरी रोग ठीक हो जाता है। सहजन की सब्जी बनाकर खाने से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

6.मूली :- 40 मिलीलीटर मूली के रस में 30 ग्राम अजमोद को मिलाकर पीने से पथरी गल जाती है तथा मल साफ होता है। मूली के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में 3 ग्राम अजमोद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।

7.कुलथी :- 10 ग्राम कुलथी की दाल और 10 ग्राम गोखरू को एक साथ मिलाकर कूट लें तथा 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब एक चौथाई पानी शेष रह जाए तो इसे छान लें। इसे आधा ग्राम शिलाजीत के साथ दिन में तीन बार पीयें। इससे पेट की गैस खत्म होती है तथा पथरी गल जाती है। कुलथी के बीजों का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 40 से 80 ग्राम की मात्रा में खाने से सभी प्रकार के पथरी रोग ठीक हो जाते हैं। 6 ग्राम कुलथी को 125 मिलीलीटर पानी में अधिक देर तक उबालें। फिर पानी को छानकर इसमे चौथाई भाग के बराबर मूली का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर नष्ट हो जाती है। रात को सोते समय 250 ग्राम कुलथी को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को उबालकर और छानकर उसमें नमक, कालीमिर्च, जीरा, हल्दी तथा शुद्ध घी का छौंका दें। इसका काढ़ा प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पेशाब की जलन, पेशाब का धीरे-धीरे आना तथा मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है।

8.पथरचटा (पत्थर फोड़ा) :- 10 ग्राम पथरचटा तथा 5 ग्राम कालीमिर्च को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीसकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम 10 से 15 दिन तक खायें। इससे गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है। 20 ग्राम पथरचटा की हरी पत्तियों को पानी के साथ बारीक पीस लें तथा उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। यह पानी सभी प्रकार की पथरी को ठीक करता है।

9.अजवायन :- 6 ग्राम अजवायन को प्रतिदिन फांकने (खाने) से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी पेशाब के रास्ते निकल जाती है।

10.अजमोद :- 3 ग्राम अजमोद और 1 ग्राम जवाखार को मूली के पत्तों के साथ पीसकर एक कप रस निकाल लें। एक कप रस प्रतिदिन सुबह-शाम 10 से 12 दिन तक पीयें। इससे पेट की पथरी गल जाती है।

11.गोखरू :- 3 ग्राम गोखरू के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर भेड़ के दूध में घोल लें। प्रतिदिन सुबह-शाम सात दिन तक इसको पीने से सभी प्रकार की पथरी ठीक हो जाती है।

12.फिटकरी :- फिटकरी का फूला 4 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम छाछ के साथ लेने से पथरी खत्म हो जाती है।

13.छाछ :- गाय के दूध की छाछ में 10 ग्राम जवाखार मिलाकर सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।

14.मेहंदी :- 10 ग्राम मेहंदी के हरे पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी उबलकर 150 मिलीलीटर बच जाए तो उसे छानकर पी जाएं। लगातार 15 दिन तक सुबह-शाम यह पानी पीने से दोनों प्रकार की पथरी गलकर निकल जाती है।

15.प्याज :- प्याज के दो चम्मच रस में मिश्री मिलाकर पीने से 20 से 25 दिनों के अन्दर ही पथरी गलकर नष्ट हो जाती है। प्याज के रस में चीनी डालकर शर्बत बनाकर पीने से पथरी कट-कटकर बाहर निकल जाती है। 50 मिलीलीटर प्याज के रस को सुबह खाली पेट रोजाना पीते रहने से गुर्दे व मूत्राशय (पेशाब के एकत्रित होने का स्थान) की पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है। प्याज के 10-20 मिलीलीटर ताजा रस को दिन में 3 बार तक 3 महीने तक पीने से गुर्दे और मसाने की पथरी गलकर निकल जाती है और पेशाब साफ हो जाता है।

16.जामुन :- जामुन की गुठलियों को सुखाकर तथा पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण को पानी के साथ सुबह-शाम लेने से गुर्दे की पथरी नष्ट हो जाती है।

17.इलायची :- इलायची, शिलाजीत तथा पीपर को 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।

18.आम के पत्ते :- आम के पत्तों को सूखाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह-शाम इसका 2 चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में ही पथरी गलकर पेशाब के द्वारा निकल जाती है। आम के ताजे पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और 8 ग्राम बासी पानी के साथ सुबह के समय इसकी फंकी लें। इससे कुछ ही दिनों में पथरी गलकर नष्ट हो जाती है।

19.अखरोट :- अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1-1 चम्मच चूर्ण ठंड़े पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पथरी रोग ठीक हो जाता है। अखरोट को कूटकर और छानकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम ठंड़े पानी के साथ कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से पथरी मूत्र-मार्ग से निकल जाती है।

20.सोंठ :- सोंठ 4 ग्राम, वरना 4 ग्राम, गेरू 4 ग्राम, पाषाण भेद 4 ग्राम तथा ब्राह्मी 4 ग्राम को एकसाथ मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में आधी चुटकी जवाखार मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

21.त्रिफला :- साठी की जड़, पाषाण भेद व गोखरु 6-6 ग्राम, त्रिफला 15 ग्राम, तथा अमलतास का गूदा 10 ग्राम को लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। 100 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर उसे छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इसे पथरी घुलकर निकल जाती है।

22.मक्का :- मक्के को तथा जौ को अलग-अलग जलाकर भस्म (राख) बनाकर पीस लें तथा अलग-अलग बर्तन में रखें। प्रतिदिन सुबह मक्के की दो चम्मच भस्म (राख) एक कप पानी में मिलाकर पीयें तथा शाम को जौ भस्म (राख) 2 चम्मच एक कप पानी में मिलाकर पीयें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

23.जीरा :- जीरा और चीनी को बराबर मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोजाना 3 बार खाने से पथरी, सूजन व मूत्रावरोध रोग में लाभ होता है।

24.आंवला :- सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर मूली के रस के साथ मिलाकर खाने से मूत्राशय की पथरी ठीक हो जाती है।

25.सूखा धनिया :- 50 ग्राम सूखा धनिया, 50 ग्राम सौंफ तथा 50 ग्राम मिश्री को 1.5 लीटर पानी में सुबह के समय भिगो दें तथा शाम को छानकर पीस लें। फिर इसी पानी में इसे घोलकर और छानकर पीयें। इस प्रकार से सुबह-शाम इसका सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है।

26.हल्दी :- हल्दी और पुराने गुड़ को छाछ में मिलाकर सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है।

27.जौ :- जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-रोटी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी निकलने में लाभ मिलता है तथा पथरी बनती भी नहीं है। आंतरिक बीमारियों और आंतरिक अवयवों की सूजन में जौ की रोटी खाना लाभकारी होता है।

28.गाजर :- मूत्राशय की सूजन दूर करने और गुर्दो की सफाई के लिए 150 मिलीलीटर गाजर, चुकन्दर, ककड़ी या खीरे का रस एक साथ मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। गुर्दे और मूत्राशय की पथरी को गाजर का रस तोड़कर बाहर निकाल देता है। गाजर का रस रोजाना 3-4 बार पीने से पथरी निकल जाती है। गाजर के बीजों को पीसकर फंकी लेने से पथरी में आराम मिलता है। गाजर का रस निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। यह पित्ताशय (पित्त से होने वाली) पथरी को गला देती है।

29.तुलसी :- तुलसी गुर्दों की कार्यक्षमता को बढ़ाती है। 1 चम्मच तुलसी के रस में 2 चम्मच शहद और 3 चम्मच पानी मिलाकर लगातार 4-5 महीने तक पीते रहने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।

30.गेंदा :- गेंदे के पत्तों के 20-30 मिलीलीटर काढ़े को कुछ दिनों तक दिन में 2 बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।

31.कलौंजी :- 250 ग्राम कलौंजी को पीसकर, 125 ग्राम शहद में मिला लें। इस मिश्रण के दो चम्मच, आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी के तेल में मिलाकर रोजाना एक बार खाली पेट सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है और पथरी 21 दिनों में ही ठीक हो जाता है।

32.बथुआ :- 1 गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर रोजाना सेवन करने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।

33.तेजपत्ता :- प्रतिदिन 5-6 तेजपत्तों को चबाने से पीलिया और पथरी नष्ट हो जाते हैं।

34.तिल :- छाया में सूखी तिल की कोमल कोपलों की राख को 7 से 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।

35.बैंगन :- बैंगन का साग खाने से पथरी पेशाब के साथ बाहर आ जाती है। बैंगन को आग में पकाकर उसके बीज निकाल लें। फिर उसका भर्ता बनाकर 15 से 20 दिन सेवन करें, इससे पथरी गलकर निकल जाती है।

36.तोरई :- तोरई की बेल गाय के दूध या ठंड़े पानी में घिसकर रोजाना सुबह 3 दिन तक सेवन करने से पथरी खत्म हो जाती है।

37.अशोक :- अशोक के 1-2 ग्राम बीजों को पानी में पीसकर नियमित रूप से 2 चम्मच की मात्रा में पीने से मूत्र न आने की शिकायत और पथरी के कष्ट में आराम मिलता है।

गुरुवार, 28 नवंबर 2024

नवजोत सिंह सिद्धू का कैंसर को मात देने का डाइट प्लान!

सिद्धू ने जारी किया था ये डाइट प्लानः-

डाइट प्लान

रोजाना कम से कम शुद्ध 7-8 गिलास पानी पीन का आदत डालें ताकि रिकवरी में मदद मिले।

सामान्य चाय के बजाय इलायची, तुलसी, पुदीना, अदरक, दालचीनी और काढ़े का सेवन करें।

रात के खाने और नाश्ते के बीच कम से कम 12-17 घंटे का अंतर रखें। रात खाना सूर्यस्त से पहले, अगले दिन नाश्ता सुबह 10 बजे के से शुरूआत करें।

सुबह गर्मा पानी, नींबू का रस और एक चम्मच सेब का सिरका के सवेन से शुरूआत करें। इसके अलावा कच्ची लहसून के 2 टुकड़ों को भी साथ में खाए। इसके बाद कच्ची हल्दी और 9 से 10 से 10 नीम के पच्चे का सेवन करें। हो सके तो इनका काढ़ा भी बना सकते हैं।

शहतूत, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी या अनार जैसे फल, गाजर, चुकंदर और आंवले का रस, एक चम्मच सभी बीज (कद्दू के बीच, सफेद तिल, सूरजमुखी के बीच व अलसी/चिया सीड्स) का सेवन करें।

3 टुकड़े अखरोट, 2 टुकड़े ब्राजील नट्स या बादाम (सभी को रात में भिगोना चाहिए का सेवन करें। स्नैकिंग में मखाना (सेंधा नमक के साथ) और स्वस्थ्य फैट्स के लिए नारियल मलाई या एवोकाडो का सेवन करें।

दोपहर में सफेद पेठा का रसम या संतरे, हलदी और अदरक का जूस या अदरक, खीरा और अनानस का जूस या घिया का जूस का सेवन करें।

दिन में एक बार हनुमान फल का हरसिंगार का काढ़ा का सेवन करें।

शरीर के वजन के 1 प्रतिशत के बराबर सलाद का सेवन करें (उदाहरण के लिए 70 किलो के लिए 700 ग्राम) जिसमें टमाटर, पालक, मशरूम, गाजर, प्याज, मूली, चुकंदर, खीरा, शकरकंद, एवोकाडो, ब्रोकली, हरी बीन्स, लाल हरी पीली शिमला मिर्च शामल हो (कच्चे संयोजन में से कोई भी 4-5, चुकंदर/शकरकंद को पकाया जाना चाहिए)।

पक्के हुए भोजन का सीमित सेवन-2 पक्की हुई सब्जियां या 1 पक्की हुई सब्जी और दालें या चन्ना या राजमा 1 से अधिकसर्विंग (कटोरी) नहीं, यदि सेवन किया जाता तो उन्हें रातभर भिगोना चाहिए।

दिन में कभी भी खासकर अंतिम भोजन के बाद, गुनगुने पानी के साथ 2 चम्मच इसपगोल का सेवन जरूरी है।
कैंसर की जीवन रेखा खाद्य पदार्थों का पूर्ण निष्कासन-रिफाइंड कार्ब्स, रिफाइंड चीनी, रिफाइंड तेल, दूध उत्पाद और किसी भी प्रकार के पैक्ड भोजन का सेवन न करें।
उपयोग किए जाने वाले तेल कोल्ड प्रेस्ड नारियल तेल/कोल्ड प्रेस्ड सरसो का तेल (कच्ची घानी)/कोल्ड प्रेस्ड जैतून का तेल-कभी भी रिफाइंड तेल का सेवन नहीं।
चपाती/रोटी केवल क्विनोआ आटे/बादाम के आटे/सिंघारा आटा से तैयार की जानी चाहिए, उबला हुआ क्विनोआ, चावल का सबसे अच्छा विकल्प है।

दूध उत्पादों को घर के बने बादाम के दूध/नारियल के दूध/नारियल दही से बदलें।

कभी-कभी करेले के रस का सेवन संतरे/चकोत्रा के साथ जूस बनाकर करें।

नियमित रूप से 50 से 70 ग्राम हरी पत्तियों का सेवन करना महत्वपूर्ण है। पालक/नीम/कड़ी पत्ते/लेट्यूस/धनिया/पुदीने के पत्ते/मूली के पत्ते/चुकंदर के पत्ते/किसी भी सलाद के पत्ते जिन्हें हरा रक्त कहा जाता है।
किसी भी तरह के सोडा या कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें और सफेद नमक को सेंधा नमक में बदलें।
किसी भी रूप में नियमित रूप से व्यायाम करें, चलना/योग या कुछ भी करें क्योंकि यह शरीर की बेहतरी के लिए उपचारात्मक दवा है।

परिवार और दोस्तों से निरंतर प्रेरणा और प्यार के साथ सकारात्मक मानसिकता अडिग इच्छा शक्ति के लिए प्रोत्साहन होगी।

सभी फलों और सब्जियों को बेकिंग सोडा से धोने और फिर एक चुटकी नमक के साथ पानी से धोने के बाद सेवन करें (यह कीटनाशकों को हटाने में मदद करेगा)।

मीठे के लिए खजूर कभी-कभी खाया जा सका है, लेकिन बिना किसी चीनी की कोटिंग के क्योंकि खजूर का ग्लाइसेमिकइंडेक्स कम होता है।

शनिवार, 21 सितंबर 2024

लड़का प्राप्ति की अचूक दवा, इन विधियों का प्रयोग करें, अवश्य ही लड़का होगा!

भांग बीज, गुड़ नया दोनों १-१ तोला, मोरचंद्रिका (मोर के पंख का वो भाग जिसमें चांद जैसा आकार बना होता हैं!) ५ नग अच्छी तरह घोटकर १४ गोलियाँ बनावें।


प्रयोग विधि:- 1.- 

जब १¼ माह(सवा माह) या ४५(1माह 15दिन) दिन का गर्भ हो… 
बछड़े वाली गाय के  कच्चे दूध के साथ १-१ गोली प्रातः ५ बजे और शाम को खाना खाने से २ घंटा पहले ७ दिन तक लिया करें। अवश्य लड़का ही होगा।

प्रयोग विधि:- 2.- 

मोर पंख में  नीले रंग का जो चंदा बना हुआ होता है, उसको काट लो फिर उस चंदे को गुड़ में मिलाकर तीन गोली बना लो…
जब आपकी प्रेगनेंसी को एक महीना 15 दिन हो जाए…

तब एक गोली रोज़ जिस गाय ने बछड़ें  को जन्म दिया हो, उसके कच्चे दूध के साथ रोज सुबह 5:00 बजें ले लेना और वापस से 1 घंटे के लिए सो जाना हैं …
ऐसा 3 दिन तक रोज करना है…
भगवान ने चाहा तो अवश्य ही लड़का होगा।

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

मरने से पहले अधूरी रह गई थी रावण की ये 5 इच्छाएं? अंत वाली ने तो उड़ा दिए थे देवताओं की भी होश..!!

रावण, राक्षसों का राजा और रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक, अपनी विद्वता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। हालांकि वह एक दुष्ट पात्र के रूप में चित्रित किया गया है, उसकी महत्वाकांक्षाएँ और सपने भी काफी दिलचस्प हैं।

रावण उन राक्षसों या यूँ कहें उस युग के उन शक्तिशाली राजाओ में था जिसका अंत करना तो दूर उसके समक्ष खड़े रह पाना देवताओं तक के बस्की बात नहीं थी।

न जानें कितने ग्रहो को उसने अपनी मुट्ठी में कर रखा था। बुद्धि में न ही बल में कोई भी समस्त ब्रम्हाण का व्यक्ति उसके आगे टिक नहीं सकता था लेकिन फिर भी अंत तो हर किसी का होना ही था जो भी इस दुनिया में आया हैं उसे एक न एक दिन तो जाना ही हैं। 

लेकिन वो कहते हैं न हर किसी को कोई न कोई इच्छा जरूर होती हैं ऐसे ही रावण की भी थी तो आज हम रावण के सपनों को विस्तार से समझते हैं क्या थी अपने अंत से पहले रावण की वो 5 इच्छाएं जिन्हे वह पूर्ण का कर सका…


ये थी रावण की वह 5 अधूरी इच्छाएं :-

स्वर्ग की सीढ़ी बनाना:- रावण का पहला सपना पृथ्वी से स्वर्ग जाने की एक सीढ़ी बनाना था। इस काम को उसने शुरू भी किया था, लेकिन उसका उद्देश्य स्वर्ग तक पहुँचने की बजाय एक ऐसा मार्ग बनाने का था जो आम लोगों के लिए स्वर्ग तक पहुँचने की सुविधा प्रदान कर सके।

समुद्र का पानी मीठा करना:- रावण ने देखा था कि भविष्य में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है। इसलिए उसने समुद्र के पानी को मीठा करने का सपना देखा था ताकि लोगों को पीने के पानी की कमी का सामना न करना पड़े।

सोने को सुगंधित बनाना:- रावण को सोने के आभूषण बहुत पसंद थे। वह चाहता था कि सोने को सूंघकर पहचाना जा सके, जिससे सोने की सुंदरता और मूल्य को बढ़ाया जा सके।

मदिरा को गंधहीन बनाना:- रावण का सपना था कि शराब को गंधहीन बनाया जाए ताकि लोग बिना गंध के भी इसका आनंद ले सकें। इससे वह शराब की गंध से परेशान लोगों को राहत देना चाहता था।

रंगभेद को खत्म करना:- रावण ने सोचा था कि रंगभेद एक बड़ी सामाजिक समस्या है। उसकी इच्छा थी कि सभी लोग एक समान रंग के हों, जिससे जाति, रंग या नस्ल के आधार पर भेदभाव न हो।

खून का रंग बदलना:- रावण चाहता था कि खून का रंग लाल की जगह सफेद हो, ताकि हत्याएँ करने के बाद भी उनका कोई स्पष्ट निशान न रहे और अपराध छुपा रहे।

रावण के ये सपने उसकी अद्वितीय सोच और कल्पना शक्ति को दर्शाते हैं, हालांकि उनकी ये इच्छाएँ और योजनाएँ धर्म और नैतिकता की दृष्टि से विवादास्पद थीं। रावण की इच्छाएँ उसके महत्वाकांक्षाओं और शक्तियों को दर्शाती हैं, लेकिन अंततः उसकी दुष्टता और अहंकार ने उसे विनाश की ओर ले जाकर उसके जीवन को समाप्त कर दिया।

रविवार, 21 जुलाई 2024

वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन निर्माण कैसे करें।

🔺आठों दिशाओं का महत्त्व जिन आठ दिशाओं पर वास्तुशास्त्र की नींव टिकी है, उनके महत्त्व को समझना जरूरी है।

इन दिशाओं से उनका आध्यात्मिक महत्त्व भी जुड़ा हुआ है। वास्तुशास्त्री दिशाओं के अनुसार कमरे, बैठक, रसोई, स्नानगृह आदि का निर्माण करने की सलाह देते हैं। 

1. 🔺पूर्व दिशा वंश दिशा कहलाती है। भवन निर्माण के समय पूर्व दिशा का कुछ स्थान खुला छोड़ देना चाहिए इस से वंश से स्वामी को दीर्घ आयु प्राप्त होती है।

2. 🔺पश्चिम दिशा यश, कीर्ति, संपन्नता एवं सफलता प्रदान करती है। 

3. 🔺उत्तर दिशा मां का स्थान है। उत्तर में खाली स्थान छोड़ने से ननिहाल पक्ष लाभान्वित होता है।

4. 🔺वायव्य कोण मित्रता या शत्रुता का जन्मदाता है। यदि इस कोण में दोष रहेंगे तो आपके अनेक शत्रु होंगे। वायव्य दोषरहित होने से आपके अनेक मित्र बनेंगे, जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध होंगे। 

5. 🔺आग्नेय कोण के कारण मनुष्य को स्वास्थ्य प्रदान करता है किंतु दोषपूर्ण होने पर गृहस्वामी को क्रोधी स्वभाव का बनाता है।

🔺दिशा एवं उनके अधिष्ठाता देवता 

हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य ने सर्वप्रथम सूर्य को अपना आराध्य माना। सूर्य प्रकाश एवं उर्जा का स्रोत है। हमारे आचार्यों ने हजारों वर्ष पूर्व सूर्य की किरणों का विश्लेषण करने के बाद अपने निवास स्थलों का निर्माण करवाया। हमारे पूर्वज सूर्य की किरणों में स्थित जीवनदायी तत्त्वों से परिचित थे। अतः पूर्वोन्मुखी आवास को सर्वोत्तम माना गया है। यही कारण है कि सुविज्ञ वास्तुशास्त्री सूर्य को आधार मानकर एवं दिशाओं पर पड़नेवाली सूर्य-रश्मियों के प्रभाव देख-समझकर गृहनिर्माण की योजना बनाते हैं। विभिन्न दिशाओं में विभिन्न देवताओं का वास माना गया है। इसलिए वास्तुशास्त्र को भली-भांति जानने-समझने के लिए दिशा ज्ञान, दिशा महत्त्व के साथ-साथ दिशा के अधिष्ठित देवताओं को जानने की भी नितांत आवश्यकता है।

🔺दिशा देवता 

उत्तर - कुबेर, सोम 

दक्षिण - यम 

पूर्व- इंद्र एवं सूर्य 

पश्चिम - वरूण 

उत्तर-पूर्व (ईशान्य) सोम, शिव 

पूर्व-दक्षिण (आग्नेय) ब्रह्मा 

दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) निऋति 

उत्तर-पश्चिम (वायव्य) वायु।

शनिवार, 6 जुलाई 2024

चाहे खूनी बवासीर हो या बादी का चाहे बवासीर में अंदर हो मस्से या फिर बाहरः- सिर्फ़ 1 सप्ताह में इसको जड़ से मिटाने का चमत्कारी उपाय!

.यह गुदा मार्ग की बीमारी है। इस रोग के होने का मुख्य कारण कब्ज होता है। अधिक मिर्च मसाले एवं बाहर के भोजन का सेवन करने के कारण पेट में कब्ज उत्पन्न होने लगती है जो मल को अधिक शुष्क एवं कठोर करती है इससे मल करते समय अधिक जोर लगना पड़ता है और अर्श (बवासीर) रोग हो जाता है।

यह कई प्रकार की होती है, जिनमें दो मुख्य हैं- खूनी बवासीर और वादी बवासीर। यदि मल के साथ खून बूंद-बूंद कर आये तो उसे खूनी बवासीर कहते हैं। यदि मलद्वार पर अथवा मलद्वार में सूजन मटर या अंगूर के दाने के समान हो और उससे मल के साथ खून न आए तो उसे वादी बवासीर कहते हैं। अर्श (बवासीर) रोग में मलद्वार पर मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं और उनमें शोथ (सूजन) और जलन होने पर रोगी को अधिक पीड़ा होती है। रोगी को कहीं बैठने उठने पर मस्से में तेज दर्द होता है। बवासीर की चिकित्सा देर से करने पर मस्से पककर फूट जाते हैं और उनमें से खून, पीव आदि निकलने लगता है।

रोग के प्रकार :- अर्श (बवासीर) 6 प्रकार का होता है- पित्तार्श, कफार्श, वातार्श सन्निपातार्श, संसार्गर्श और रक्तार्श (खूनी बवासीर)

कफार्श :- कफार्श बवासीर में मस्से काफी गहरे होते है। इन मस्सों में थोड़ी पीड़ा, चिकनाहट, गोलाई, कफयुक्त पीव तथा खुजली होती है। इस रोग के होने पर पतले पानी के समान दस्त होते हैं। इस रोग में त्वचा, नाखून तथा आंखें पीली पड़ जाती है।

वातजन्य बवसीर :- वात्यजन अर्श (बवासीर) में गुदा में ठंड़े, चिपचिपे, मुर्झाये हुए, काले, लाल रंग के मस्से तथा कुछ कड़े और अलग प्रकार के मस्से निकल आते हैं। इसका इलाज न करने से गुल्म, प्लीहा आदि बीमारी हो जाती है।

संसगर्श :- इस प्रकार के रोग परम्परागत होते हैं या किसी दूसरों के द्वारा हो जाते हैं। इसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं।

पितार्श :- पितार्श अर्श (बवासीर) रोग में मस्सों के मुंख नीले, पीले, काले तथा लाल रंग के होते हैं। इन मस्सों से कच्चे, सड़े अन्न की दुर्गन्ध आती रहती है और मस्से से पतला खून निकलता रहता है। इस प्रकार के मस्से गर्म होते हैं। पितार्श अर्श (बवासीर) में पतला, नीला, लाल रंग का दस्त (पैखाना) होता है।

सन्निपात :- सन्निपात अर्श (बवासीर) इस प्रकार के बवासीर में वातार्श, पितार्श तथा कफार्श के मिले-जुले लक्षण पाये जाते हैं।

खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में मस्से चिरमिठी या मूंग के आकार के होते हैं। मस्सों का रंग लाल होता है। गाढ़ा या कठोर मल होने के कारण मस्से छिल जाते हैं। इन मस्सों से अधिक दूषित खून निकलता है जिसके कारण पेट से निकलने वाली हवा रुक जाती है।

बवासीर या अर्श होने के कारण :-
अर्श रोग (बवासीर) की उत्पत्ति कब्ज के कारण होती है। जब कोई अधिक तेल-मिर्च से बने तथा अधिक मसालों के चटपटे खाद्य-पदार्थों का अधिक सेवन करता है तो उसकी पाचन क्रिया खराब हो जाती है। पाचन क्रिया खराब होने के कारण पेट में कब्ज बनती है जो पेट में सूखेपन की उत्पत्ति कर मल को अधिक सूखा कर देती है। मल अधिक कठोर हो जाने पर मल करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है। अधिक जोर लगाने से मलद्वार के भीतर की त्वचा छिल जाती है। जिसके कारण मलद्वार के भीतर जख्म या मस्से बन जाने से खून निकलने लगता है। अर्श रोग (बवासीर) में आहार की लापरवाही तथा चिकित्सा में अधिक देरी के कारण यह अधिक फैल जाता है।

बवासीर या अर्श होने के लक्षण :-

अर्श रोग के होने पर मलद्वार के बाहर की ओर मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं। मांसांकुर (मस्से) से खून शौच के साथ खून पतली रेखा के रुप में निकलता है। रोगी को चलने-फिरने में परेशानी होना, पांव लड़खड़ाना, नेत्रों के सामने अंधेरा छाना तथा सिर में चक्कर आने लगना आदि इसके लक्षण है। इस रोग के होने पर स्मरण-शक्ति खत्म होने लगती है।

बवासीर या अर्श के चमत्कारी घरेलु उपाय :-

हारसिंगार :- हारसिंगार के 2 ग्राम फूलों को 30 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसल कर छान लें और 1 चम्मच खांड़ मिलाकर खाली पेट खायें। रोज1 सप्ताह खाने से बवासीर मिट जाती है। या हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर गोलियां बनाकर खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है। या हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।

कपूर :- कपूर, रसोत, चाकसू और नीम का फूल सबको 10-10 ग्राम कूट कर पाउडर बनालें। मूली को लम्बाई में बीच से काटकर उसमें सबके पाउडर को भरें और मूली को कपड़े से लपेटे तथा मिट्टी लगाकर आग में भून लें। भुन जाने पर मूली के ऊपर से मिट्टी और कपड़े को उतारकर उसे शिलबट्टे (पत्थर) पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी से लेने पर 1 सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाती है।

वनगोभी :- वनगोभी के पत्तों को कूटकर उसका रस निकालकर दिन में तीन से चार बार बवासीर के मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से एक सप्ताह में ही मस्सें ठीक हो जाते हैं।

मूली :- मूली के 125 मिलीलीटर रस में 100 ग्राम जलेबी को मिलाकर एक घण्टे तक रखें। एक घण्टे बाद जलेबी को खाकर रस को पी लें। इस क्रिया को एक सप्ताह तक करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

रीठा या अरीठा :- रीठा के छिलके को कूटकर आग पर जला कर कोयला बना लें। इसके कोयले के बराबर मात्रा में पपरिया कत्था मिलाकर चूर्ण बनाकर रखें। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लेकर मलाई या मक्खन में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मस्सों में होने वाली खुजली व जख्म नष्ट होते हैं। या रीठा के छिलके को जलाकर भस्म बनायें और 1 ग्राम शहद के साथ चाटने से बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।