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रविवार, 29 अक्टूबर 2017

2 मिनट में पीले और गंदे दांतो को मोती जैसे चमकाएं बस अपनाएं ये तरीका


दाँत दर्द में हमें बड़ी कठनाई का सामना करना पड़ता है । कई बार कुछ गलत खाने से तो कई बार दांतों की ठीक से सफाई न करने या कीड़े लगने के कारण दांतों में दर्द होने लगता है. दांतों में दर्द का कारण कोई भी हो, लेकिन इसकी पीड़ा हमारे लिए बेहद कष्टकारी बन जाती है। यहाँ पर हम आपको दाँत दर्द में कुछ बहुत ही आसान से उपचार बता रहे है।

दांत दर्द का आयुर्वेद इलाज

फिटकरी से दांतों के दर्द में बहुत राहत मिलती है । इसे इस्तेमाल करने से पहले भून ले और उसका पाउडर बना ले फिर उसमे हल्दी का थोड़ा पाउडर मिला ले और उसको दांतों पर लगाए इससे दर्द तू ठीक होगा साथ में दांत भी सफ़ेद होगे|

हल्दी का प्रयोग

पिसी हुई हल्दी और नमक को सरसों के तेल में मिला लें और फिर इससे बच्चें के दांतों पर मंजन की तरह मलें, इससे दांतों में लगे कीड़े मर जाते हैं।

दालचीनी का प्रयोग

दालचीनी के तेल में रूई को अच्छी तरह से भिगों लें, फिर इसे बच्चें के पीड़ायुक्त दांत के गढ्ढे में रखकर दबा। इससे दांत के कीड़े तो नष्ट होते ही हैं, साथ में दर्द में भी शांति मिल जाती है।

अपने दांतों को मोती की तरह चमकाएं

1. चुटकी भर नमक और थोड़ा सा पानी 1 चम्मच मीठा सोडा में मिलाकर दांतों पर लगाने से दांतों का कालापन व पीलापन दूर होता है।

2. नीम के पत्तों की राख में कपूर और कोयले का चुरा मिलाकर हर रोज मसूड़ों पर मलने से दांतों और मसूड़ों से खून निकलना बंद होता है।

3. थोड़ा सेंधा नमक सरसों के तेल में मिलाकर दांतों पर मलने से साँस की बदबू दूर होती है, मसूड़ों से खून आना बंद होता है और दाँत मजबूत होते है। पायरिया का उपचार जड़ से करने का ये रामबाण उपाय है।

शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

ये है हमारे देश के 16 राष्‍ट्रीय चिन्ह जाने कब और कैसे इन्हे अपनाया गया

आइये जानते है ।

राष्‍ट्रीय ध्‍वज

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है। शीर्ष में गहरा केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है। हरा रंग देश के शुभ विकास और उर्वरता को दर्शाता है। इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं। राष्ट्रीय ध्वज श्री पिंगली वेंकैया जी ने डिजाइन किया था। भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।

राष्ट्रभाषा

Hindi हिंदी

राष्‍ट्रीय पक्षी

भारतीय मोर पावों क्रिस्‍तातुस भारत का राष्‍ट्रीय पक्षी एक रंगीन हंस के आकार का पक्षी पंखे आकृति की पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफेद धब्‍बा और लंबी पतली गर्दन। इस प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगीन होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अति मनमोहक कांस्‍य हरा 200 लम्‍बे पंखों का गुच्‍छा होता है। मादा भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसमें पंखों का गुच्‍छा नहीं होता है। नर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्‍य होता है।

राष्‍ट्रीय पुष्‍प

कमल निलम्‍बो नूसीपेरा गेर्टन भारत का राष्‍ट्रीय फूल है। यह पवित्र पुष्‍प है और इसका प्राचीन भारत की कला और गाथाओं में विशेष स्‍थान है और यह अति प्राचीन काल से भारतीय संस्‍कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है। भारत पेड़ पौधों से भरा है। वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता में इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है। अब तक 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया उसमें से भारत के वनस्‍पति सर्वेक्षण द्वारा 47,000 वनस्‍पति की प्रजातियों का वर्णन किया गया है।

राष्‍ट्रीय पेड़

भारतीय बरगद का पेड़ फाइकस बैंगा‍लेंसिस जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्‍से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं। इस विशेषता और लंबे जीवन के कारण इस पेड़ को अनश्‍वर माना जाता है और यह भारत के इतिहास और लोक कथाओं का एक अविभाज्‍य अंग है। आज भी बरगद के पेड़ को ग्रामीण जीवन का केंद्र बिन्‍दु माना जाता है और गांव की परिषद इसी पेड़ की छाया में बैठक करती है।

राष्‍ट्र–गान

भारत का राष्‍ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्‍ट्र गान के सही संस्‍करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्‍ट्र गान को सम्‍मान देने की आवश्‍यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्‍य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है। राष्‍ट्र गान - पूर्ण और संक्षिप्‍त संस्‍करणNस्‍वर्गीय कवि रविन्‍द्र नाथ टैगोर द्वारा जन गण मन के नाम से प्रख्‍यात शब्‍दों और संगीत की रचना भारत का राष्‍ट्र गान है। उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।

राष्‍ट्रीय नदी

गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है जो पर्वतों घाटियों और मैदानों में 2,510 किलो मीटर की दूरी तय करती है। यह हिमालय के गंगोत्री ग्‍लेशियर में भागीरथि नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के बीच जन्‍म लेती है। इसमें आगे चलकर अन्‍य नदियां जुड़ती हैं, जैसे कि अलकनंदा यमुना सोन गोमती कोसी और घाघरा। गंगा नदी का बेसिन विश्‍व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यहां सबसे अधिक घनी आबादी निवास करती है तथा यह लगभग 1,000,000 वर्ग किलो मीटर में फैला हिस्‍सा है। नदी पर दो बांध बनाए गए हैं एक हरिद्वार में और दूसरा फरक्‍का में। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन एक संकटापन्‍न जंतु है जो विशिष्‍ट रूप से इसी नदी में वास करती है। गंगा नदी को हिन्‍दु समुदाय में पृथ्‍वी की सबसे अधिक पवित्र नदी माना जाता है। मुख्‍य धार्मिक आयोजन नदी के किनारे स्थित शहरों में किए जाते हैं जैसे वाराणसी हरिद्वार और इलाहाबाद। गंगा नदी बंगलादेश के सुंदर वन द्वीप में गंगा डेल्‍टा पर आकर व्‍यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्रा पूरी होती है।

राष्ट्रीय चिन्ह

अशोक चिह्न भारत का राजकीय प्रतीक है। इसको सारनाथ में मिली अशोक लाट से लिया गया है। मूल रूप इसमें चार शेर हैं जो चारों दिशाओं की ओर मुंह किए खड़े हैं। इसके नीचे एक गोल आधार है जिस पर एक हाथी के एक दौड़ता घोड़ा एक सांड़ और एक सिंह बने हैं। ये गोलाकार आधार खिले हुए उल्टे लटके कमल के रूप में है। हर पशु के बीच में एक धर्म चक्र बना हुआ है। राष्‍ट्र के प्रतीक में जिसे 26 जनवरी 1950 में भारत सरकार द्वारा अपनाया गया था केवल तीन सिंह दिखाई देते हैं और चौथा छिपा हुआ है, दिखाई नहीं देता है। चक्र केंद्र में दिखाई देता है, सांड दाहिनी ओर और घोड़ा बायीं ओर और अन्‍य चक्र की बाहरी रेखा बिल्‍कुल दाहिने और बाई छोर पर। घंटी के आकार का कमल छोड दिया जाता है। प्रतीक के नीचे सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में अंकित है। शब्‍द सत्‍यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं जिसका अर्थ है केवल सच्‍चाई की विजय होती है।

राष्‍ट्रीय जलीय जीव

मीठे पानी की डॉलफिन भारत का राष्‍ट्रीय जलीय जीव है। यह स्‍तनधारी जंतु पवित्र गंगा की शुद्धता को भी प्रकट करता है, क्‍योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकता है। प्‍लेटेनिस्‍टा गेंगेटिका नामक यह मछली लंबे नोकदार मुंह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं। इनकी आंखें लेंस रहित होती हैं और इसलिए ये केवल प्रकाश की दिशा का पता लगाने के साधन के रूप में कार्य करती हैं। डॉलफिन मछलियां सबस्‍ट्रेट की दिशा में एक पख के साथ तैरती हैं और श्रिम्‍प तथा छोटी मछलियों को निगलने के लिए गहराई में जाती हैं। डॉलफिन मछलियों का शरीर मोटी त्‍वचा और हल्‍के भूरे-स्‍लेटी त्‍वचा शल्‍कों से ढका होता है और कभी कभार इसमें गुलाबी रंग की आभा दिखाई देती है। इसके पख बड़े और पृष्‍ठ दिशा का पख तिकोना और कम विकसित होता है। इस स्‍तनधारी जंतु का माथा होता है जो सीधा खड़ा होता है और इसकी आंखें छोटी छोटी होती है। नदी में रहने वाली डॉलफिन मछलियां एकल रचनाएं है और मादा मछली नर मछली से बड़ी होती है। इन्‍हें स्‍थानीय तौर पर सुसु कहा जाता है क्‍योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज निकालती है। इस प्रजाति को भारत नेपाल भूटान और बंगलादेश की गंगा मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों में तथा बंगलादेश की कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है। नदी में पाई जाने वाली डॉलफिन भारत की एक महत्‍वपूर्ण संकटापन्‍न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्‍य जीवन संरक्षण अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है। इस प्रजाति की संख्‍या में गिरावट के मुख्‍य कारण हैं अवैध शिकार और नदी के घटते प्रवाह भारी तलछट बेराज के निर्माण के कारण इनके अधिवास में गिरावट आती है और इस प्रजाति के लिए प्रवास में बाधा पैदा करते हैं।

राजकीय प्रतीक

भारत का राजचिन्ह सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर धर्मचक्र रखा हुआ है। भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नही देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र 'सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है जिसका अर्थ है- सत्य की ही विजय होती है'।

राष्‍ट्रीय पंचांग

राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है चैत्र इसका माह होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ 22 मार्च 1957 से सामान्‍यत: 365 दिन निम्‍नलिखित सरकारी प्रयोजनों के लिए अपनाया गया भारत का राजपत्र आकाशवाणी द्वारा समाचार प्रसारण भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडर और लोक सदस्‍यों को संबोधित सरकारी सूचनाएं राष्‍ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्‍थायी रूप से मिलती-जुलती है। सामान्‍यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को।

राष्‍ट्रीय पशु

राजसी बाघ टाइग्रिस धारीदार जानवर है। इसकी मोटी पीली लोमचर्म का कोट होता है जिस पर गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं। लावण्‍यता ताकत फुर्तीलापन और अपार शक्ति के कारण बाघ को भारत के राष्‍ट्रीय जानवर के रूप में गौरवान्वित किया है। ज्ञात आठ किस्‍मों की प्रजाति में से शाही बंगाल टाइगर बाघ उत्‍तर पूर्वी क्षेत्रों को छोड़कर देश भर में पाया जाता है और पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है, जैसे नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश। भारत में बाघों की घटती जनसंख्‍या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्‍ट टाइगर बाघ परियोजना शुरू की गई। अब तक इस परियोजना के अधीन 27 बाघ के आरक्षित क्षेत्रों की स्‍थापना की गई है जिनमें 37, 761 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र शामिल है।

राष्‍ट्रीय गीत

वन्‍दे मातरम गीत बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया है यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्‍थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। 24 जनवरी 1950 को इस गीत को मान्यता प्रदान की गयी थी ।

राष्‍ट्रीय फल

आम एक गूदे दार फल जिसे पकाकर खाया जाता है या कच्‍चा होने पर इसे अचार आदि में इस्‍तेमाल किया जाता है, यह मेग्‍नीफेरा इंडिका का फल अर्थात आम है जो उष्‍ण कटिबंधी हिस्‍से का सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण और व्‍यापक रूप से उगाया जाने वाला फल है। इसका रसदार फल विटामिन ए सी तथा डी का एक समृद्ध स्रोत है। भारत में विभिन्‍न आकारों मापों और रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्‍में पाई जाती हैं। आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है। कवि कालीदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे हैं। अलेक्‍सेंडर ने इसका स्‍वाद चखा है और साथ ही चीनी धर्म यात्री व्‍हेन सांग ने भी। मुगल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे रोपे थे जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है।

राष्‍ट्रीय खेल

जब हॉकी के खेल की बात आती है तो भारत ने हमेशा विजय पाई है। हमारे देश के पास आठ ओलम्पिक स्‍वर्ण पदकों का उत्‍कृष्‍ट रिकॉर्ड है। भारतीय हॉकी का स्‍वर्णिम युग 1928-56 तक था जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त किए। भारतीय हॉकी दल ने 1975 में विश्‍व कप जीतने के अलावा दो अन्‍य पदक रजत और कांस्‍य भी जीते। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने 1927 में वैश्विक संबद्धता अर्जित की और अंतरराष्ट्रीय हॉकी संघ एफआईएच की सदस्‍यता प्राप्‍त की। इस प्रकार भारतीय हॉकी संघ के इतिहास की शुरूआत ओलम्पिक में अपनी स्‍वर्ण गाथा आरंभ करने के लिए की गई। इस दौरे में भारत ने 21 मैचों में से 18 मैच जीते और प्रख्‍यात खिलाड़ी ध्‍यानचंद सभी की आंखों में बस गए जब भारत के कुल 192 गोलों में से 100 गोल उन्‍होंने अकेले किए। यह मैच एमस्‍टर्डम में 1928 में हुआ और भारत लगातार लॉस एंजेलस में 1932 के दौरान तथा बर्लिन में 1936 के दौरान जीतता गया और इस प्रकार उसने ओलम्पिक में स्‍वर्ण पदकों की हैटट्रिक प्राप्‍त की। स्‍वतंत्रता के बाद भारतीय दल ने एक बार फिर 1948 लंदन ओलम्पिक, 1952 हेलसिंकी गेम तथा मेलबॉर्न ओलम्पिक में स्‍वर्ण पदक जीत कर है‍टट्रिक प्राप्‍त की। इस स्‍वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलम्पिक मैच खेले और सभी 24 मैचों में जीत कर 178 गोल बनाए प्रति मैच औसतन 7.43 गोल तथा केवल 7 गोल छोड़े। भारत को 1964 टोकियो ओलम्पिक और 1980 मॉस्‍को ओलम्पिक में दो अन्‍य स्‍वर्ण पदक प्राप्‍त हुए।

मुद्रा चिन्ह

भारतीय रुपए का प्रतीक चिन्ह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदान-प्रदान तथा आर्थिक संबलता को परिलक्षित कर रहा है। रुपए का चिन्ह भारत के लोकाचार का भी एक रूपक है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के र और रोमन लिपि के अक्षर आर को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है। यह चिन्ह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई के पोस्ट ग्रेजुएट डिजाइन श्री डी उदय कुमार ने बनाया है। इस चिन्ह को वित्त मंत्रालय द्वारा आयोजित एक खुली प्रतियोगिता में प्राप्त हजारों डिजायनों में से चुना गया है। इस प्रतियोगिता में भारतीय नागरिकों से रुपए के नए चिन्ह के लिए डिजाइन आमंत्रित किए गए थे। इस चिन्ह को डिजीटल तकनीक तथा कम्प्यूटर प्रोग्राम में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।

शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

*आप सभी के लिए* *अत्यावश्यक* *सूचनाएं*

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1. सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की है कि यदि किसी का सड़क पर एक्सीडेंट होता है तो उसे कोई भी व्यक्ति तत्काल किसी नजदीक के  अस्पताल ले जाए और अस्पताल की यह सबसे पहली जिम्मेदारी है कि उसको भर्ती करें और किसी भी तरह की पुलिस रिपोर्ट के लिए बाध्य नहीं करें बल्कि यह डॉक्टर का कर्तव्य है कि उसका तुरंत आवश्यक इलाज करें और पुलिस को रिपोर्ट बाद में करें .
कृपया यह  सूचना अपने सभी ग्रुप्स में शेयर करें शायद किसी का जीवन बचाने में काम आ सके.

2. भारतीय रेल प्रशासन ने एक प्रभावी शिकायत तंत्र विकसित किया है जिससे चलती रेल में किसी भी तरह की समस्या होने पर उसकी sms के द्वारा शिकायत की जा सकती है जिसके ऊपर निश्चित कार्रवाई होगी - आपको ट्रेन नंबर, बोगी नंबर ,यात्रा का समय व दिनांक आवश्यक रूप से देते हुए शिकायत -- जैसे फैन बंद है , बाथरूम में पानी नहीं है , लाइटें बंद है या कोई सुरक्षा से संबंधित समस्या है इत्यादि के लिए sms नंबर है 8121281212 कृपया इसे अधिक से अधिक
शेयर करें यह बहुत उपयोगी हो सकता है

3. यदि आप कभी भी कहीं पूरे भारत में किसी बच्चे को भीख मांगते हुए देखें तो कृपया तत्काल सूचित करें " रेड सोसायटी " मो नं 9940 217816 यह सोसाइटी बच्चों की शिक्षा में पूरी मदद करेगी !

4. यदि आपको कभी भी किसी भी ब्लड ग्रुप के ब्लड की आवश्यकता हो तो आपको एक नहीं हज़ारों दानदाता तुरंत उपलब्ध हो सकेंगे-- लॉगिन करें www.friendstosupport.org

5. इंजीनियरिंग स्टूडेंट ऑफ केंपस सिलेक्शन के लिए रजिस्टर करें  www.campusconcil.com जिसमें 40 कंपनियां केंपस सिलेक्शन के लिए आप को मौका देगी !

6.दिव्यागों या शारीरिक अक्षम बच्चों के लिए फ्री शिक्षा व हॉस्टल के लिए संपर्क करें Mo. 98420 62501 & 98940 67506

7.ऐसे व्यक्ति जिनमें किसी भी तरह की कान नाक या मुंह की जन्मजात विकृति हो या किसी अग्नि दुर्घटना के शिकार हो गए हो इन सब की निशुल्क प्लास्टिक सर्जरी ( का जर्मनी देश के विशेषज्ञ डॉक्टरो के द्वारा ) फ्री ऑपरेशन किया जाता है संपर्क करें -- कोडाइकनाल PASAM हॉस्पिटल जिसमें सब कुछ निशुल्क होगा फो.नं. है 045420-240668 & 245732

8. यदि आपको कभी किसी के खोए हुए आवश्यक दस्तावेज कहीं मिलते हैं जैसे ड्राइविंग लाइसेंस ,पासपोर्ट, राशन कार्ड, बैंक पासबुक आदि तो आप नजदीक के पोस्ट- बॉक्स में डाल दे पोस्टल डिपार्टमेंट संबंधित व्यक्ति तक वह डॉक्यूमेंट पहुंचाकर उनसे अपना चार्ज ले लेगा !

9. नेत्रदान के बारे में कोई भी जानकारी या नेत्र-दान घोषणा आदि के लिए संपर्क करें - " शंकर नेत्रालय आई बैंक " www.ruraleye.org फो.नं. 044-28281919 & 044-28271616

10. किसी भी बच्चे ( 0 से 10 वर्ष उम्र ) के लिए ह्रदय की निशुल्क सर्जरी के लिए संपर्क करें -- श्री वल्ली बाबा इंस्टीट्यूट बेंगलुरु -10 संपर्क-मो नं 9916737471

11. रक्त कैंसर /ब्लड कैंसर के लिए निशुल्क दवा " Imitinef  Mercilet " जिससे ब्लड कैंसर जड़ से दूर हो जाता है को प्राप्त करने के लिए संपर्क करें -- अडयार कैंसर इंस्टिट्यूट चेन्नई ; ईस्ट केनाल बैंक रोड गांधीनगर अडयार ; चेन्नई- 600020 ( मिशेल स्कूल के पास) फो.नं. 044-24910754 &  24911526 & 2235 0241

कृपया इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में अपना सहयोग करें जिससे हम भारत को एक उत्कृष्ट देश बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे सकें धन्यवाद..!!🙏

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

पैटर्न लॉक खोलने की सबसे बढ़िया ट्रिक

आज कल लोग मोबाइल को लॉक करने के लिए अजीब से पैटर्न लॉक और पिन का प्रयोग करते है. लेकिन कई बार वो खुद ही भूल जाते है की कौन सी पैटर्न सेट की थी. जिसे खुलवाने के लिए लोग मोबाइल रिपेर करने वाले के पास जाते है. जिस के आपको पैसे देने पड़ते है।

लेकिन कुछ ट्रिक्स ऐसी भी हैं जिनसे आप घर पे ही लॉक खोल सकते है वो भी सिर्फ २ मिनट में. इसके लिए नहीं आपको किसी सॉफ्टवेयर की जरुरत है और नहीं किसी कंप्यूटर की।

जब आप पिन का पासवर्ड या पिन भूल जाते है तब आपको तीन प्रयास मिलते है उससे नहीं खोल पाते है तो एक ऑप्शन आता है 'फॉरगॉट पैटर्न लॉक' जिसपर क्लिक कर आप अपना लॉक खोल सकते है. उस पे क्लिक करने के बाद आपको गूगल प्ले स्टोर में लोग इन करना है. जब आप एक बार लोग इन हो जायेंगे आपका पैटर्न लॉक अपने आप खुल जायेगा।

जानिये कौन किसे भेज रहा है मैसेज


ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

अगर आप एक स्मार्टफोन यूज़र है तो दावा किया जा सकता है कि आप दुनिया के बहुचर्चित सोशल मैसेजिंग ऐप WhatsApp का इस्तेमाल जरुर करते होंगे। हम सभी के मन में कभी न कभी यह ख्याल आता है कि कितना अच्छा होता अगर हम दूसरों के WhatsApp मैसेज पढ़ पाते, तो चलिये आज हम आपको एक ऐसी ट्रिक बताने जा रहे हैं जिससे आप ऐसा कर सकते हैं।

आज दुनिया भर में 100 करोड़ से अधिक लोग संदेश भेजने के लिए WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ तरीकों का इस्तेमाल कर आप अपने दोस्तों की व्हाट्सएप्प चैट को पढ़ सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि वह किस को क्या मैसेज कर रहे हैं।

ऐसा करने के लिए आपको सिर्फ अपने मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर से Whatscan नाम का एप्लीकेशन इंस्टाल करना है। एप्लीकेशन इंस्टॉल करने के बाद आप जिस पर नजर रखना चाहते हैं उस मोबाइल का व्हाट्सऐप ओपन करें और फिर उसमें दिए गए WhatsApp Web के ऑप्शन पर क्लिक करें जहां पर आप का कैमरा ऑन हो जाएगा।

अब अपने मोबाइल में इंस्टॉल किए गए एप्लिकेशन को ओपन करें वहां पर आपको एक बार कोड दिखेगा जिसे स्कैन कर ले। ऐसा करते ही आपका मोबाइल तुरंत आपके साथी के मोबाइल से कनेक्ट हो जाएगा और आप उसके भेजे गए मैसेज को पढ़ पाएंगे।

दोस्तो अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें और हमें फॉलो करना ना भूलें।

बुधवार, 25 अक्टूबर 2017

सूर्य के आशीर्वाद के बिना नहीं मिलता यश,प्रसिद्धी और सफलता

भगवान सूर्य ऊर्जा के स्रोत हैं। यदि सूर्य का आर्शीवाद न होतो जीवन में हाथ आई सफलता भी फिसलती जाती है। सब कुछ होते हुए भी यश और प्रसिद्धी किसी और को ही मिलती है। सूर्य उपासना का पर्व भी है। आईए इस अवसर पर हम आपको बताते हैं कि सूर्य उपासना करना क्यों जरूरी है और इसे कैसे किया जाए। रविवार का दिन भगवान सूर्य का होता है। इस दिन इनकी पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी हो जाती है। सूर्यदेव को हिन्दू धर्म के पंचदेवों में से प्रमुख देवता माना जाता है। इनकी उपासना करने से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है।

-सूर्यदेव को अर्घ देने और उनकी पूजा करने से उनकी शक्ति इंसान में भी आने लगती है। वह उनके समान ही ओजसवी बनने लगता है। जीवन की कठिनाई, कमी और दुख का नाश होने लगता है।

-सूर्य की पूजा इंसान को निडर और बलवान बनाती है।

-सूर्य पूजा मनुष्य को परोपकारी बनाती है।

-सूर्य पूजा इंसान को विद्वान और बुद्धिमान के साथ-साथ मधुर वाणी वाला बनाती है।

-सूर्यदेव की पूजा कोमल और पवित्र आचरण प्रदान करती है।

-सूर्य पूजा व्यक्ति के मन से अंहकार, क्रोध, लोभ, इच्छा, कपट और बुरे विचारों को दूर करती है।

ऐसे करनी होगी पूजा :-

वैसे तो हर दिन सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए, लेकिन रविवार को सूयदेव के मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख, बेहतर स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।

- " ☀ ॐ सूर्याय नम: ☀ "

का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल चढ़ाए। सूर्यदेव को पवित्र जल चढ़ाने के बाद जमीन पर माथा टेककर इस मंत्र का जाप करें। साथ ही जल को एक पात्र में गिरते हुए एकत्र करें और उसे अपने माथे, दोनो बाजुओं व सीने पर लगा कर सूर्य को प्रणाम कर लें।

-सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहने और सूर्य देव को नमस्कार करें। इसके बाद एक तांबे के बर्तन में ताजा पानी भरें तथा नवग्रह मंदिर में जाकर सूर्यदेव को लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें। सूर्यदेव की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर, मन में सफलता और यश की कामना करें।

ट्रेन पर लिखे इन नंबरों में छिपे है ऐसे राज, जिनके बारे में जान कर दंग रह जायेंगे आप

इसमें कोई शक नहीं कि हम में से हर किसी ने कभी न कभी ट्रेन में सफर तो जरूर किया होगा. हालांकि इस देश में कुछ लोग ऐसे भी है जो एक या दो दिन नहीं, बल्कि रोज ट्रेन में सफर करते है. जैसे कि रोज दफ्तर जाने वाले लोग आने जाने के लिए ट्रेन का ही इस्तेमाल करते है. बरहलाल जो लोग ट्रेन में सफर करते है यक़ीनन उन्होंने कभी ट्रेन के डिब्बों के नंबर पर तो गौर नहीं किया होगा, क्यूकि ट्रेन में भागदौड़ ही इतनी होती है कि खुद को संभाल पाना भी मुश्किल होता है. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इन्ही नंबर में आपकी ट्रेन की पूरी जानकारी मौजूद होती है।


ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

जी हां दरअसल आज हम आपको इसी के बारे में जरा विस्तार से बताना चाहते है. ऐसे में आप ट्रेन का नंबर जानने के बाद उसकी पूरी जानकारी आसानी से निकाल सकते है. सबसे पहले तो हम आपको बता दे कि भारतीय रेलवे की हर ट्रेन लगभग एक जैसी ही होती है. हालांकि हर ट्रेन की डिज़ाइन और सुविधाओं में बस थोड़ा सा फर्क होता है. इसके इलावा हर ट्रेन पर पांच अंको का नंबर लिखा होता है, जिसके बारे में आप सभी जानते ही होंगे. हालांकि ये कोई नहीं जानता होगा, कि ये नंबर क्यों लिखा जाता है. तो चलिए सबसे पहले हम आपको ट्रेन के नंबरों के बारे में बताते है।

जिस ट्रेन का पहला अंक जीरो से शुरू होता है, वो स्पेशल ट्रेन होती है. जी हां जैसे कि समर वेकेशन या स्पेशल हॉलीडे के लिए होती है. इसके बाद जिसका नंबर एक से शुरू होता है, वो थोड़ी लम्बी दूरी की ट्रेन होती है. इसके इलावा जिस ट्रेन का नंबर दो से शुरू होता है, वो भी ज्यादा लम्बी दूरी की ट्रेन होती है. बता दे कि जिस ट्रेन का नंबर तीन से शुरू होता है, वो कोलकाता सब अर्बन ट्रेन के बारे में बताता है. जी हां इसके बाद नंबर चार चेन्नई, नयी दिल्ली, सिकंदराबाद और अन्य कई मेट्रो शहरों को दर्शाता है. इसके बाद नंबर पांच कन्वेंशनल कोच वाली पेसेंजर ट्रेन को दर्शाता है. गौरतलब है कि नंबर छह से ये पता चलता है कि वो मेमू ट्रेन है या नहीं।


इसके इलावा नंबर सात डूएमयू और रेलकार सर्विस के लिए होता है. गौरतलब है कि नंबर आठ आरक्षित स्थिति के बारे में बताता है. इसके साथ ही नंबर नौ मुंबई क्षेत्र की सब अर्बन ट्रेन के बारे में बताता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि किसी भी ट्रेन के नंबर दूसरे और उसके बाद वाले नंबर का मतलब पहले से ही तय कर लिया जाता है. जैसे कि यदि किसी भी ट्रेन के पहले अंक जीरो, एक या दो से शुरू हो तो बाकी के अंक ट्रेन के जोन को दर्शाते है. जी हां हम आपको ये भी बता देते है कि किस जोन का क्या नंबर होता है।

इसमें जीरो नंबर वाले कोंकण रेलवे, एक नंबर वाले सेंट्रल, वेस्ट सेंट्रल और नार्थ सेंट्रल रेलवे, दो नंबर वाले अंक सुपरफास्ट, शताब्दी और जन शताब्दी को दर्शाते है. इसके इलावा तीन नंबर वाले ईस्टर्न और ईस्ट सेंट्रल रेलवे को, चार नंबर वाले नार्थ, नार्थ सेंट्रल और नार्थ वेस्टर्न रेलवे और पांच नंबर वाले नेशनल ईस्टर्न और नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे को दर्शाते है. इसके साथ ही छह नंबर वाले साउथर्न और साउथर्न वेस्टर्न रेलवे, सात नंबर वाले साउथर्न वेस्टर्न और साउथर्न सेंट्रल रेलवे, आठ नंबर वाले साउथर्न ईस्टर्न और ईस्ट कोस्टल रेलवे और नौ नंबर वाले अंक वेस्टर्न, नार्थ वेस्टर्न और वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे को दर्शाते है।

बरहलाल हम उम्मीद करते है कि इस जानकारी के बाद आप ट्रेन के डिब्बों पर लिखे नंबर का मतलब जरूर समझ गए होंगे।