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शनिवार, 6 जुलाई 2024

चाहे खूनी बवासीर हो या बादी का चाहे बवासीर में अंदर हो मस्से या फिर बाहरः- सिर्फ़ 1 सप्ताह में इसको जड़ से मिटाने का चमत्कारी उपाय!

.यह गुदा मार्ग की बीमारी है। इस रोग के होने का मुख्य कारण कब्ज होता है। अधिक मिर्च मसाले एवं बाहर के भोजन का सेवन करने के कारण पेट में कब्ज उत्पन्न होने लगती है जो मल को अधिक शुष्क एवं कठोर करती है इससे मल करते समय अधिक जोर लगना पड़ता है और अर्श (बवासीर) रोग हो जाता है।

यह कई प्रकार की होती है, जिनमें दो मुख्य हैं- खूनी बवासीर और वादी बवासीर। यदि मल के साथ खून बूंद-बूंद कर आये तो उसे खूनी बवासीर कहते हैं। यदि मलद्वार पर अथवा मलद्वार में सूजन मटर या अंगूर के दाने के समान हो और उससे मल के साथ खून न आए तो उसे वादी बवासीर कहते हैं। अर्श (बवासीर) रोग में मलद्वार पर मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं और उनमें शोथ (सूजन) और जलन होने पर रोगी को अधिक पीड़ा होती है। रोगी को कहीं बैठने उठने पर मस्से में तेज दर्द होता है। बवासीर की चिकित्सा देर से करने पर मस्से पककर फूट जाते हैं और उनमें से खून, पीव आदि निकलने लगता है।

रोग के प्रकार :- अर्श (बवासीर) 6 प्रकार का होता है- पित्तार्श, कफार्श, वातार्श सन्निपातार्श, संसार्गर्श और रक्तार्श (खूनी बवासीर)

कफार्श :- कफार्श बवासीर में मस्से काफी गहरे होते है। इन मस्सों में थोड़ी पीड़ा, चिकनाहट, गोलाई, कफयुक्त पीव तथा खुजली होती है। इस रोग के होने पर पतले पानी के समान दस्त होते हैं। इस रोग में त्वचा, नाखून तथा आंखें पीली पड़ जाती है।

वातजन्य बवसीर :- वात्यजन अर्श (बवासीर) में गुदा में ठंड़े, चिपचिपे, मुर्झाये हुए, काले, लाल रंग के मस्से तथा कुछ कड़े और अलग प्रकार के मस्से निकल आते हैं। इसका इलाज न करने से गुल्म, प्लीहा आदि बीमारी हो जाती है।

संसगर्श :- इस प्रकार के रोग परम्परागत होते हैं या किसी दूसरों के द्वारा हो जाते हैं। इसके कई प्रकार के लक्षण होते हैं।

पितार्श :- पितार्श अर्श (बवासीर) रोग में मस्सों के मुंख नीले, पीले, काले तथा लाल रंग के होते हैं। इन मस्सों से कच्चे, सड़े अन्न की दुर्गन्ध आती रहती है और मस्से से पतला खून निकलता रहता है। इस प्रकार के मस्से गर्म होते हैं। पितार्श अर्श (बवासीर) में पतला, नीला, लाल रंग का दस्त (पैखाना) होता है।

सन्निपात :- सन्निपात अर्श (बवासीर) इस प्रकार के बवासीर में वातार्श, पितार्श तथा कफार्श के मिले-जुले लक्षण पाये जाते हैं।

खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में मस्से चिरमिठी या मूंग के आकार के होते हैं। मस्सों का रंग लाल होता है। गाढ़ा या कठोर मल होने के कारण मस्से छिल जाते हैं। इन मस्सों से अधिक दूषित खून निकलता है जिसके कारण पेट से निकलने वाली हवा रुक जाती है।

बवासीर या अर्श होने के कारण :-
अर्श रोग (बवासीर) की उत्पत्ति कब्ज के कारण होती है। जब कोई अधिक तेल-मिर्च से बने तथा अधिक मसालों के चटपटे खाद्य-पदार्थों का अधिक सेवन करता है तो उसकी पाचन क्रिया खराब हो जाती है। पाचन क्रिया खराब होने के कारण पेट में कब्ज बनती है जो पेट में सूखेपन की उत्पत्ति कर मल को अधिक सूखा कर देती है। मल अधिक कठोर हो जाने पर मल करते समय अधिक जोर लगाना पड़ता है। अधिक जोर लगाने से मलद्वार के भीतर की त्वचा छिल जाती है। जिसके कारण मलद्वार के भीतर जख्म या मस्से बन जाने से खून निकलने लगता है। अर्श रोग (बवासीर) में आहार की लापरवाही तथा चिकित्सा में अधिक देरी के कारण यह अधिक फैल जाता है।

बवासीर या अर्श होने के लक्षण :-

अर्श रोग के होने पर मलद्वार के बाहर की ओर मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं। मांसांकुर (मस्से) से खून शौच के साथ खून पतली रेखा के रुप में निकलता है। रोगी को चलने-फिरने में परेशानी होना, पांव लड़खड़ाना, नेत्रों के सामने अंधेरा छाना तथा सिर में चक्कर आने लगना आदि इसके लक्षण है। इस रोग के होने पर स्मरण-शक्ति खत्म होने लगती है।

बवासीर या अर्श के चमत्कारी घरेलु उपाय :-

हारसिंगार :- हारसिंगार के 2 ग्राम फूलों को 30 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसल कर छान लें और 1 चम्मच खांड़ मिलाकर खाली पेट खायें। रोज1 सप्ताह खाने से बवासीर मिट जाती है। या हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर गोलियां बनाकर खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है। या हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।

कपूर :- कपूर, रसोत, चाकसू और नीम का फूल सबको 10-10 ग्राम कूट कर पाउडर बनालें। मूली को लम्बाई में बीच से काटकर उसमें सबके पाउडर को भरें और मूली को कपड़े से लपेटे तथा मिट्टी लगाकर आग में भून लें। भुन जाने पर मूली के ऊपर से मिट्टी और कपड़े को उतारकर उसे शिलबट्टे (पत्थर) पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी से लेने पर 1 सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाती है।

वनगोभी :- वनगोभी के पत्तों को कूटकर उसका रस निकालकर दिन में तीन से चार बार बवासीर के मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से एक सप्ताह में ही मस्सें ठीक हो जाते हैं।

मूली :- मूली के 125 मिलीलीटर रस में 100 ग्राम जलेबी को मिलाकर एक घण्टे तक रखें। एक घण्टे बाद जलेबी को खाकर रस को पी लें। इस क्रिया को एक सप्ताह तक करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

रीठा या अरीठा :- रीठा के छिलके को कूटकर आग पर जला कर कोयला बना लें। इसके कोयले के बराबर मात्रा में पपरिया कत्था मिलाकर चूर्ण बनाकर रखें। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लेकर मलाई या मक्खन में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मस्सों में होने वाली खुजली व जख्म नष्ट होते हैं। या रीठा के छिलके को जलाकर भस्म बनायें और 1 ग्राम शहद के साथ चाटने से बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।

पित्त की थैली (Gallbladder)/और किडनी की पथरी का आयुर्वेदिक उपचार! सिर्फ 5 दिन में 21MM की पथरी को गला देगा ये 40 रूपये का घरेलु उपाय, जरूर पढ़े और शेयर करे..!!

➡ पित्त की थैली (Gallbladder)/किडनी की पथरी का आयुर्वेदिक उपचार :- 

•आयुर्वेद का एक ऐसा चमत्कार जिसे देखकर एलॉपथी डॉक्टर्स ने दांतों तले अंगुलियाँ चबा ली। जो डॉक्टर्स कहते थे के गाल ब्लैडर स्टोन अर्थात पित्त की थैली की पथरी निकल ही नहीं सकता, उनकी जुबान हलक से नीचे पेट में गिर गयी।सिर्फ एक नहीं अनेक मरीजों पर सफलता से आजमाया हुआ ये प्रयोग।

•इस प्रयोग को एक डॉक्टर तो 5000 से लेकर 10000 में करते हैं। जबकि इस प्रयोग की वास्तविक कीमत सिर्फ 30-40 रुपैये ही है। यह प्रयोग गाल ब्लैडर और किडनी दोनों प्रकार के स्टोन को निकालने में बेहद कारगर है।

•इस प्रयोग को हमने जिन पर आजमाया वो कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं हैं, ये हैं डॉक्टर बिंदु प्रकाश मिश्रा जी, जो के महर्षि दयानंद कॉलेज परेल मुंबई में मैथ के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। और यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य भी हैं।

 •डॉक्टर साहब के 21 MM का स्टोन 8 साल से गाल ब्लैडर में था, और अत्यंत दर्द था। डॉक्टर ने इनको गाल ब्लैडर तुरंत निकलवाने की सलाह भी दे दी। मगर इन्होने आयुर्वेद की शरण में जाने की सोचा। और फिर क्या बस 5 दिनों में ये स्टोन कहाँ गायब हो गया, पता ही नहीं चला। 5 दिन बाद जब दोबारा चेक करवाया तो गाल ब्लैडर स्टोन की जगह बस थोड़ी बहुत रेत जैसा दिखा, जिसके बाद डॉक्टर ने उनको थोडा दवाएं लेने के लिए कहा!! तो क्या है वो प्रयोग आइये जाने -

➡ गाल ब्लैडर स्टोन की चमत्कारी दवा :–

•तो क्या है ये चमत्कारी दवा। ये कुछ और नहीं ये है गुडहल के फूलों का पाउडर अर्थात इंग्लिश में कहें तो Hibiscus powder। ये पाउडर बहुत आसानी से पंसरी से मिल जाता है। अगर आप गूगल पर Hibiscus powder नाम से सर्च करेंगे तो आपको अनेक जगह ये पाउडर online मिल जायेगा।

 और जब आप online इसको मंगवाए तो इसको देखिएगा organic hibiscus powder क्योंकि आज कल बहुत सारी कंपनिया आर्गेनिक भी ला रहीं हैं तो वो बेस्ट रहेगा। कुल मिला कर बात ये है के इसकी उपलबध्ता बिलकुल आसान है। अब जानिये इस पाउडर को इस्तेमाल कैसे करना है।

➡ गाल ब्लैडर स्टोन निकालने के लिए गुडहल के पाउडर के इस्तेमाल की विधि :- 

गुडहल का पाउडर एक चम्मच रात को सोते समय खाना खाने के कम से कम एक डेढ़ घंटा बाद गर्म पानी के साथ फांक लीजिये। ये थोडा कड़वा होता है। इसलिए मन भी कठोर कर के रखें। मगर ये इतना भी कड़वा नहीं होता के आप इसको खा ना सकें। इसको खाना बिलकुल आसान है। इसके बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है।

 डॉ. मिश्रा जी के अनुसार, क्यूंकि उनके स्टोन का साइज़ बहुत बड़ा था उनको पहले दो दिन रात को ये पाउडर लेने के बाद सीने में अचानक बहुत तेज़ दर्द हुआ, उनको ऐसा लगा मानो जैसे हार्ट अटैक आ जायेगा। मगर वो दर्द था उनके स्टोन के टूटने का… जो दो दिन बाद नहीं हुआ। और 5 दिन के बाद कहीं गायब हो गया था और पीछे रह गयी थी उसकी यादें रेत बनकर, जिनका सफाई अभियान अभी चल रहा है।

इसके साथ में उनको प्रोस्टेट Enlargement  की समस्या भी थी, वो भी सही हो गयी। इसके बाद यही प्रयोग उन्होंने एक दूधवाले और एक और आदमी पर भी किया जिनका स्टोन 8 mm और 10 mm था, उनको यही प्रयोग बिना किसी दर्द के बिलकुल सही हुआ। अर्थात अगर स्टोन का साइज़ बड़ा है तो वो दर्द कर सकता है।

यही प्रयोग एक बहुत ही प्रतिष्ठित डॉ कम से कम 5 से 10 हज़ार लेकर लोगों को करवाते हैं। और आपके लिए हम इसको फ्री में उपलब्ध करवाते है जन हित के लिए। आप भी इसको ज़रूर शेयर करें। जुड़े रहें आयुर्वेद के साथ।

➡ इस प्रयोग में थोड़ी सावधानी :–

पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें। और अगर आपका स्टोन बड़ा है तो ये टूटने समय दर्द भी कर सकता है। पाठक गण अपने विवेक से इस प्रयोग को करें वो भी किसी चिकित्सक की उपस्थिति में।