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शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

प्रातः से लेकर रात्रि तक बोलने चाहिए ये 10 मंत्र...!!


1. सुबह उठते ही अपनी दोनों हथेलियां देखकर ये मन्त्र बोलें!(कर दर्शन मंत्र)

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥


2. धरती पर पैर रखने से पहले ये मंत्र बोलें!

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे॥


3. दातून (मंजन) से पहले ये मंत्र बोलें!

आयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च।
ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते॥


4. नहाने से पहले ये मंत्र बोलें!

स्नान मन्त्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥


5. सूर्य को अर्ध्य देते समय ये मंत्र बोलें!

ॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहि
तन्नो सूर्य:प्रचोदयात॥


6. भोजन से पहले ये मंत्र बोलें!

ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति॥

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना॥


7. भोजन के बाद ये मंत्र बोलें!

अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।
भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं॥
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।


8. अध्ययन (पढ़ाई) से पहले ये मंत्र बोलें! (सरस्वती मंत्र)

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्॥


9. शाम को पूजा करते वक़्त ये मंत्र बोलें! (गायत्री मंत्र)

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्॥


10. रात को सोने से पहले ये मंत्र बोलें! (विशेष विष्णु शयन मंत्र)

अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम्।
हसं नारायणं कृष्णं जपते दु:स्वप्रशान्तये॥

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स'

⚫️विगत एक माह से उत्तरप्रदेश में एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है, ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले, लोग जूझ रहे हैं. ठीक भी हो रहे हैं, कुछ रोग की अज्ञानता में कोलैप्स भी कर जा रहे हैं, प्रदेश एक अघोषित पेन्डेमिक से गुज़र रहा है।

⚫️इस बुखार का रहस्य ये है कि सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया से मिलते जुलते हैं पर जब टेस्ट कराइये तो सब निगेटिव आता है. क्योंकि बीमारी के लक्षण भले ही मिलते हों पर बीमारी अलग है।

⚫️जनहित में जारी आवश्यक सुचना विडंबना ये है कि बहुत से डॉक्टर भी वायरल मान कर उसका ट्रीटमेंट दे रहे हैं या डेंगू का ट्रीटमेंट दे रहे हैं. उनको भी रोग के विषय में नहीं मालूम।

(ये मैं इस आधार पर कह रहा हूँ कि मेरे परिचित दिव्या मिश्रा राय के बेटे और पति, दोनों के बुखार को डेंगू समझ कर ट्रीटमेंट दिया गया और दोनों ही सुप्रसिद्ध डॉक्टर्स के द्वारा दिया गया।)

▪️जब 12 अगस्त को दिव्या मिश्रा राय में लक्षण दिखे तो उन्हे उनके फैमिली डॉक्टर को दिखाया गया। उन्होंने इस नयी बीमारी का नाम बताया "स्क्रब टायफ़स"

फिर उन्होंने इस बीमारी के विषय में रिसर्च की और उन्हें लगा कि इसको सबसे शेयर करना चाहिये क्योंकि उनके कुछ बहुत ही अजीज़ लोगों की मृत्यु का समाचार मिल चुका था।

श्रीमती दिव्या मिश्रा राय द्वारा दी गई जानकारी.....


🔵स्क्रब टायफ़स के संक्रमण का कारण:-

▪️थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स या chigger नामक कीड़े की लार में orientia tsutsugamushi नामक बैक्टीरिया होता है, जो स्क्रब टायफ़स का कारण है। इसी के काटने से ये फैलता है। इन कीड़ों को सामान्य भाषा में कुटकी या पिस्सू कहते हैं। इनकी साइज़ 0.2 mm होती है।

▪️संक्रमण का incubation period 6 से 20 दिन का होता है, अर्थात कीड़े के काटने के 6 से 20 दिन के अंदर लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

🔵स्क्रब टायफ़स के लक्षण:-

(इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया सभी के मिले जुले लक्षण हैं।)

▪️ठण्ड दे कर तेज़ बुखार आना…
▪️बुखार का फिक्स हो जाना, सामान्य पैरासिटामोल से भी उसका न उतरना…
▪️शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द व अकड़न होना…
▪️मांसपेशियों में असहनीय पीड़ा व अकड़न…
▪️तेज़ सिर दर्द होना…
▪️शरीर पर लाल रैशेज़ होना…
▪️रक्त में प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना…
▪️मनोदशा में बदलाव, भ्रम की स्थिति (कई बार कोमा भी )

🔵खतरा:-
समय पर पहचान व उपचार न मिलने पर
▪️मल्टी ऑर्गन फेलियर
▪️कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
▪️सरकुलेटरी कोलैप्स

🔵मृत्युदर:-
सही इलाज न मिलने पर 30 से 35% की मृत्युदर तथा 53% केस में मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शनल सिंड्रोम की पूरी सम्भावना..

🔵कैसे पता लगाएं:-
Scrub antibody - Igm Elisa नामक ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता लगता है। (सब डेंगू NS1 टेस्ट करवाते हैं और वो निगेटिव आता है।)

🔵निदान:-
जिस प्रकार डेंगू का कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है वैसे ही स्क्रब टायफ़स का भी अपना कोई इलाज नहीं है।

▪️अगर समय पर पहचान हो जाए तो doxycycline नामक एंटीबायोटिक दे कर डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित कर लेते हैं।

▪️पेशेंट को नॉर्मल पैरासिटामोल टैबलेट उसके शरीर की आवश्यकता के अनुसार दी जाती है।

▪️ बुखार तेज़ होने पर शरीर को स्पंज करने की सलाह दी जाती है।

▪️शरीर में तरलता का स्तर मेन्टेन रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, ORS, फलों के रस, नारियल पानी, सूप, दाल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है।

▪️लाल रैशेज़ होने पर कैलामाइन युक्त लोशन लगाएं।

▪️रेग्युलर प्लेटलेट्स की जाँच अवश्यक है क्योंकि खतरा तब ही होता है जब रक्त में प्लेटलेट्स 50k से नीचे पहुँच जाती हैं।

▪️आवश्यकता होने पर तुरंत मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट करना उचित है।

🔵बचाव:-
▪️स्क्रब टायफ़स से बचाव की कोई भी वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है।

▪️संक्रमित कीड़ों से बचने के लिए फुल ट्रॉउज़र, शर्ट, मोज़े व जूते पहन कर ही बाहर निकलें।

▪️शरीर के खुले अंगों पर ओडोमॉस का प्रयोग करें।

▪️घर के आस पास, नाली, कूड़े के ढेर, झाड़ियों, घास फूस आदि की भली प्रकार सफाई करवाएं. कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं।

▪️अपने एरिया की म्युनिसिपालिटी को सूचित कर फॉग मशीन का संचरण करवाएं।

नोट:-
▪️स्क्रब टायफ़स एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलता। सिर्फ और सिर्फ चिगर नामक कीड़े के काटने पर ही व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है।

(कृपया इस जानकारी को आगे बढ़ाने में मेरा सहयोग करें। क्या मालूम किसके काम आ जाए और किसी की जान बच जाए।)

कैंसर हार गया अनानास के गर्म पानी से…!?

अनानास का गर्म पानी
      कृपया यह जानकारी सभी ग्रुपों में फैलायें!!
      आईसीबीएस जनरल अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. गिल्बर्ट ए. क्वोक ने जोर देकर कहा कि यदि बुलेटिन प्राप्त करने वाला प्रत्येक व्यक्ति दूसरों को दस प्रतियां दे तो कम से कम एक जीवन बचाया जा सकता है।

      मैंने अपना योगदान दिया, आशा है आप भी कर सकते हैं..
       धन्यवाद!

      गर्म अनानास का पानी बचाएगा आपकी जान
      गर्म अनानास कैंसर कोशिकाओं को मारता है।

      अनानास के 2 से 3 टुकड़ों को एक कप में पीस लें और इसमें गर्म पानी मिलाएं, यह "नमकीन पानी" बन जाएगा, अगर आप इसे रोजाना पिएंगे तो यह सभी के लिए अच्छा है।

      गर्म अनानास कैंसर रोधी पदार्थ छोड़ता है, जो प्रभावी कैंसर उपचार के लिए चिकित्सा में नवीनतम प्रगति है।

      अनानास के गर्म फल में सिस्ट और ट्यूमर को मारने का प्रभाव होता है। यह सभी प्रकार के कैंसर को ठीक करने में सिद्ध हुआ है।

      गर्म अनानास का पानी एलर्जी/एलर्जी के कारण शरीर से सभी कीटाणुओं और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

      अनानास के रस से प्राप्त दवा केवल हिंसक कोशिकाओं को नष्ट करती है और स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करती है।

      इसके अलावा, अनानास के रस में अमीनो एसिड और अनानास पॉलीफेनोल्स उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं, आंतरिक रक्त वाहिकाओं की रुकावट को रोक सकते हैं, रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकते हैं और रक्त के थक्के को कम कर सकते हैं।
      पढ़ने के बाद दूसरों, परिवार, दोस्तों को बताएं कि अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
   
धन्यवाद

सोमवार, 8 जनवरी 2024

पपीते के पत्ते की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिन में जड़ से खत्म किया जा सकता है।

पपीते के पत्ते :–
 तीसरी और चौथी स्टेज का कैंसर सिर्फ 35 से 90 दिनों में ठीक हो सकता है।

 अब तक :-
 हम इंसानों ने पपीते के पत्तों का इस्तेमाल बहुत ही सीमित तरीके से किया होगा...

 (खासतौर पर प्लेटलेट कम करने या त्वचा संबंधी या अन्य किसी छोटे या बड़े प्रयोग के लिए)

 लेकिन,
 आज हम आपको क्या बताने जा रहे हैं -
 ये वाकई आपको हैरान कर देगा.

 आप सिर्फ पांच हफ्ते में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

 यह प्रकृति की एक शक्ति है

 अनेक प्रकार की वैज्ञानिक खोजों से बहुत सारा ज्ञान प्राप्त हुआ जो -

 पपीते के हर भाग जैसे फल, तना, बीज, पत्तियां, जड़ सभी में कैंसर कोशिकाओं को मारने और उसके विकास को रोकने के लिए शक्तिशाली औषधि होती है।

 विशेष रूप से -
 पपीते की पत्तियों में कैंसर कोशिकाओं को मारने और उनकी वृद्धि को रोकने के गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

 तो आइए जानें...

 यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा (2010) और अमेरिका तथा जापान के अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरों और शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध से यह पता चला है कि -

 पपीते की पत्तियों में कैंसर कोशिकाओं को मारने का गुण पाया जाता है।

 श्री। नाम डांग - एमडी, पीएचडी जो एक आविष्कारक हैं,

 उसके अनुसार -

 पपीते की पत्तियां सीधे कैंसर का इलाज कर सकती हैं,
उसके अनुसार -
 पपीते की पत्तियां करीब 10 तरह के कैंसर को खत्म कर सकती हैं।

 इनमें से प्रमुख हैं-
 स्तन कैंसर,
 फेफड़े का कैंसर,
 यकृत कैंसर,
 अग्न्याशय का कैंसर,
 गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर,

 इसमें जितनी ज्यादा पपीते की पत्तियां डाली जाएंगी.
 परिणाम उतना ही बेहतर होगा.

 पपीते की पत्तियां कैंसर का इलाज कर सकती हैं
 और,
 कैंसर को बढ़ने से रोकता है।

 तो आइए जानें-
 पपीते की पत्तियां कैंसर का इलाज कैसे करती हैं?

 (1) पपीता कैंसर रोधी अणुओं Th1 साइटोकिन्स के उत्पादन को बढ़ाता है।

 जो इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है.
 जिससे कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।

 (2) पपीते के पत्ते में पपेन नमक है -
 प्रोटियोलिटिक एंजाइम पाए जाते हैं,

 जो कैंसर कोशिकाओं पर प्रोटीन कोटिंग को तोड़ देता है...
 इससे कैंसर कोशिकाओं का शरीर में जीवित रहना मुश्किल हो जाता है।

 इस प्रकार,
 पपीते के पत्ते की चाय-
 रोगी के रक्त में मिलकर मैक्रोफेज को उत्तेजित करता है...
 प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करके,
 कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है।
कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी और पपीते के पत्तों से उपचार के बीच मुख्य अंतर यह है -

 कीमोथेरेपी में –
 प्रतिरक्षा प्रणाली 'दबी हुई' है।

 जबकि पपीता निकलता है -
  प्रतिरक्षा प्रणाली को 'उत्तेजित' करता है,

 कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी में सामान्य कोशिकाएं भी 'प्रभावित' होती हैं।

 पपीता केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है।

 सबसे बड़ी बात यह है कि -
 कैंसर के इलाज में पपीते की पत्तियों का भी कोई 'साइड इफेक्ट' नहीं होता है।

 *कैंसर में पपीते का सेवन नियम:

 कैंसर के लिए सर्वोत्तम पपीते की चाय :-

 दिन में 3 से 4 बार बनाएं पपीते की चाय
 यह आपके लिए बहुत फायदेमंद है.

 आइए अब जानते हैं -
 पपीते की चाय कैसे बनाएं:-

 (1) सबसे पहले 5 से 7 पपीते के पत्तों को धूप में अच्छी तरह सुखा लें।
 तब,
 इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें.

 आपके पास 500 मि.ली. पानी में -
 कुछ सूखे पपीते के पत्ते डालें और अच्छी तरह उबालें।
 इतना उबालें कि -
 यह आधा रह गया है…
 आप इसे 125 ml दे सकते हैं, दिन में 2 बार करी पियें।
 और,
 अगर ज्यादा बनता है तो इसे दिन में 3 से 4 बार पियें।

 बचे हुए तरल को फ्रिज में रखें और आवश्यकतानुसार उपयोग करें।

 इसका रखें ख्याल:-

 इसे दोबारा गर्म न करें!

 (2) 7 ताजी पपीते की पत्तियां लें,
 - इसे हाथ से अच्छी तरह गूंथ लें.
 अब इसे 1 लीटर पानी में उबालें.

 जब यह 250 मि.ली. यदि यह बढ़ जाए तो इसे छानकर 125 मि.ली. इसे 2 टाइम यानि सुबह और शाम पियें।

 इस प्रयोग को आप दिन में 3 से 4 बार कर सकते हैं।

 आप जितना अधिक पपीते के पत्तों का उपयोग करेंगे...
 उतनी ही जल्दी आपको लाभ मिलेगा.

 टिप्पणी :-
 इस चाय को पीने के आधे घंटे तक आपको कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।

 कब तक करना है यह प्रयोग?

 तो यह प्रयोग आपको 5 सप्ताह में अपना परिणाम दिखा देगा...
 
हालाँकि
 हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

 और,
 ये लोग जो समझ गए हैं,
 उन लोगों ने उन लोगों का भी भला किया है,
 जिनका कैंसर 'तीसरे' या 'चौथे' चरण का था।

 ये संदेश :-
 सभी को भेजने हेतु एक विनम्र अनुरोध।
 एक कतरा चाहिए...
 ताकि अन्य जरूरतमंदों तक पहुंचा जा सके।
 डॉ. धनेश सूरत/कनाडा मोबाइल 9979618999
 कैंसर में 25 वर्ष का अनुभव!
➖➖➖➖➖
निस्वार्थ प्रचारक 
महेश्वर सुखवाल 
C/O
तेरहँवा ज्योतिर्लिंग 
श्रृंगेश्वर महादेव 
श्रृंगीधाम 

शनिवार, 28 अक्टूबर 2023

ऐसी पोस्ट बार-बार नही आती, इसे सेव करके सुरक्षित कर लें।


• दूध ना पचे तो - सोंफ

• दही ना पचे तो - सोंठ

• छाछ ना पचे तो - जीरा व काली मिर्च

• अरबी व मूली ना पचे तो - अजवायन

• कड़ी ना पचे तो - कड़ी पत्ता

• तेल, घी, ना पचे तो - कलौंजी

• पनीर ना पचे तो - भुना जीरा

• भोजन ना पचे तो - गर्म जल

• केला ना पचे तो - इलायची
• ख़रबूज़ा ना पचे तो - मिश्री का उपयोग करें
👉 योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।

◆ लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है।

◆ हाई बी पी में -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करें।

◆ लो बी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें।

◆ कूबड़ निकलना - फास्फोरस की कमी।

◆ कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है। गुड व शहद खाएं।

◆ दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी।

◆ सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी।

◆ सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें।

◆ अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें।

◆ जम्भाई - शरीर में आक्सीजन की कमी।

◆ जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें।

◆ ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें।

◆ किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये।

गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है।
◆ अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।

◆ वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा।

◆ परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।

◆ पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है।

◆ RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है।

◆ सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।

◆ पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है।

◆ भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।

◆ HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।

◆ गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।

◆ चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है।

◆ शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है।

◆ वात के असर में नींद कम आती है।

◆ कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।

◆ कफ के असर में पढाई कम होती है।

◆ पित्त के असर में पढाई अधिक होती है।

◆ आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है।

◆ शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए।

◆ प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।

◆ सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।

◆ व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।

◆ भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।

◆ जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।

◆ निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है।

◆ भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।

◆ दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,

◆ माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।

◆ तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।

◆ छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है।

◆ कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।

◆ मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए।

◆ सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।

◆ भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है।

◆ भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें।

◆ अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है।

◆ पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है।

◆ छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।

◆ रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।

◆ हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।

◆ एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।

◆ ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें।

◆ मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।

◆ अस्थमा में नारियल दें। नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है। दालचीनी + गुड + नारियल दें ।

◆ चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।

◆ दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।

◆ गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।

◆ जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए।
◆ गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें।
◆ गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।

◆ रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

◆ भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है।

◆ भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।

◆ अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है

◆ अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें

◆ कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।

◆ रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
◆ जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
◆ बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

◆ स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है।
◆ भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
◆ सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।

◆ रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।

◆ शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।

◆ जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।

◆ जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।

◆ एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
◆ खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
◆ रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
◆ छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
◆ जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।

◆ बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।

◆ चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।

◆ गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
◆ प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है ।
◆ दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।

◆ जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
◆ सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
◆ स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
◆ तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
◆ त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।

◆ इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके।